मां की ममता पर जो परवाह भारी है,
वही कंधा तो एक पिता की सवारी है
शांत सरल फिर भी जिससे खौफ है,
वो खुद सारी परेशानियों से बेखौफ है..
उसके क्रोध में भी सिर्फ सबकी फिक्र है,
उसके हर किस्से में सिर्फ अपनों का जिक्र है
खुद की इक्षाओं को दबाकर जो परिवार के लिए मुस्कुराता है
एक समय की चाय के पैसे बचाकर
शाम को समोसे लाता है
और मॉल में घिसी हुई चप्पल पहनकर बच्चे को खिलौने दिलाता है
जो घर पर चार मेहमान आ जाए तो सिर्फ मम्मी की तारीफें कराता है
एक मां अगर घर की आत्मा है तो जो उस आत्मा के लिए शरीर बनाता है,
एक बहुत मजबूत लेकिन अक्सर पर्दे के पीछे से पूरा परिवार निभाता है
वही तो सबका super hero पिता कहलाता है।
#मेरीकलमसे✍️
#प्रियंका _राज-
लोगों के दो चेहरों से,
दो तरफा बातों से,
गुस्सा नहीं आता, बल्कि
डर लगता है क्योंकि
वो हमें उनके उस करतूत की
याद दिला देते हैं,
जिन्हें भूलकर हम
आगे बढ़े थे।
#मेरीकलमसे✍️
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साल का सबसे पहला त्यौहार
संक्रांति की बधाई बार बार
लेकिन अब कहां वो बात पहली सी
अब कहां वही उल्लास पहले सी
अब चूल्हे घर के बंट गए है,
वो पहले से बचपन छूट गए हैं
अब कहां मिलते दादी नानी के
हाथों के तिल गुड के लाई,चक्की
अब तो सब बाजारों में बिकते खरीदते,
शहर के दिखावे और भाग दौड़ भरे जीवनशैली में,
त्योहार बस whatsapp status और reels में दिखते,
फिर आने वाली पीढ़ी कहां जान पाएंगे
वो घर के पकवानों के स्वाद
वो असली घी और गुड़ को
वो मां दादी नानी के अनमोल,
प्यार और ममता के स्वाद को
अब तो न कोई उठाने वाला,
न कोई बताने वाला
न कोई परोस कर देने वाला ,
न कोई साथ खाने वाला
फिर क्या चूड़ा दही,
फिर क्या चक्की और तिल...
हर दिन एक से,
हर दिन अब आम
जो मिला खा लिए,
जो लाए पका लिए।
और कुछ न समझ आया तो
बस खिचड़ी बना लिए।
अपनों से त्योहार है, अपनों से है जीवन में रंग
वरना सब एक खिलौनों सा पड़े है बेजान बेरंग।
- प्रियंका राज-
Happy New Year
चलो अपने गुजरे हुए सालों को विदा कर
आने वाले साल को Happy बनाते हैं..
चलो Happy Year की शुरुआत पहले
खुद से करते हैं...
पहले खुद को Happy करके हम
नए साल का स्वागत करते हैं...
अपने पिछले साल के कुछ सपनों को
फिर इस साल साकार करते हैं...
हम नए साल में खुद की Happy होने की
वजह खुद को बनाते हैं...
हम सिर्फ एक दिन को New नहीं बनाकर बल्कि
पूरे साल को Happy Happy यादों से सजाकर
Happy New Year का सही
मतलब पहले खुद को समझाते हैं।
-प्रियंका राज-
हम जन्म एक बार लेते हैं
मौत भी एक बार ही आती है
लेकिन जीतते कई बार है
और हारते भी कई बार है
जीवन के इस किताब में
हर पल हर पन्ने में एक खुशी
और कई दर्द का हिसाब है
खुशियों के अनुच्छेद में चेहरे पर हंसी है
लेकिन दर्द को बयां करना कहां easy है
जैसे अपने जन्मभूमि को छोड़ कर
अपने कर्मभूमि पर मुस्कान के साथ जाना
अपने घर परिवार और बूढ़े होते मां- बाप को
अपने आगे के सफर के लिए अलविदा कहना।
जब हम बड़े हो जाते है तो मन को समझा लेते हैं
किंतु एक अबोध का अपनों का साथ छोड़ना,
अपने भविष्य के लिए बिछुड़ना बहुत पीड़ा देता है
पता नहीं किस उड़ान में है हम सभी
जिसने उड़ान दी उसी से दूर है सभी।
#प्रियंका राज #कटुसत्य_जीवन_का-
हम अक्सर ससुराल को बुरा कहते
सास ससुर में कमी निकालते कई किस्से कविता कहानियां सुने है
लेकिन क्या कोई भी गाड़ी सिर्फ एक पहिए से चलती है
और सच के भी तो दो रूप होते है
अगर सास मां नहीं बन पाई
तो क्या बहु ने बेटी बनने की कोशिश की थी
अगर ननदें बहन नहीं बन पाई,
तो क्या भाभी ने दोस्त बनने की कोशिश की थी
अगर ससुराल वालों ने आपको नहीं अपनाया
क्या आप कभी अपने मायके के मोह से बाहर आ पाई
क्या आपने कभी ससुराल वालों में मां बाप बहन की छवि देखना चाहा
सिर्फ औरों से सारी उम्मीद अगर आप लगा कर किसी के घर आते हैं
तो वहीं उम्मीद वो घर वाले भी आपसे लगा कर ही आपका स्वागत करते हैं।
रिश्ता दोस्ती का हो या पति पत्नी का या बहु बेटी का
लेकिन उम्मीद हम सभी रिश्तों में सिर्फ सामने वाले से करते हैं
लेकिन ये नहीं समझते कि उसे भी हमसे उम्मीद होगी।
-प्रियंका राज-
एक मां आज फिर जिंदगी और मौत से लड़ रही
और उससे पहले वो समाज के तानों से लड़ रही
बेटियों के मां होने सजा मिली थी उसे आज
बेटे की चाह में कर गई थी गलती फिर वो आज
इस समाज ने उसे हर बार बेटे की जरूरत समझाई
परिवार ने भी एक और कोशिश से बेटे की दी दुहाई
फिर खुद की कोख में पल रही एक जान को मार कर
अगली बार एक और कोशिश एक और हत्या जान कर
समाज के तानों में परिवार के दबावों में
एक मां ने ममता को त्यागकर
फिर से खुद को जिंदगी के सबसे बड़े
कटघरे में अकेले खड़ा कर
एक मां आज फिर जिंदगी और मौत से लड़ रही।
#कन्याभ्रूणहत्या
#Femalefoeticide
#GirlChildDiscrimination
- प्रियंका राज
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हमने भगवान तो नहीं देखा, लेकिन रतन टाटा को देखा है
90s के हम बच्चों ने, बचपन से ही उनका नाम सुना है
उद्योगों की नगरी से, वो एक सफल उद्योगपति जाना है
आज के उभरते भारत में, उनका बहुत बड़ा योगदान माना है
हमने भगवान तो नहीं देखा, लेकिन रतन टाटा को देखा है।
गरीबों के लिए मसीहा थे वो, मेहनत पसंद के सच्चे साथी
TATA की जो कंपनी बड़ा की, नहीं उसमें कभी भाई भतीजा की कहानी
देश की एकमात्र ऐसी सफल संस्था, जहां मिलती प्रतिभाओं की निशानी
Technology से लेकर Travel और Metal से लेकर media & Telecom
आज हर क्षेत्र में पांव पसारे खड़ी है TATA,
चेयरमैन के पद पर देश दी नई ऊंचाई खुद की जुबानी
अलग ही अलौकिक छवि के धनी,
हर ओर उनके ही चर्चे देश विदेश में सबने है सुनी
हमने भगवान तो नहीं देखा, लेकिन रतन टाटा को देखा है।
उनकी सोच और सादगी उनको करती अन्य उद्योगपतियों से पृथक,
उनके बदौलत कई घरों में रोजगार है, रोटी, कपड़ा और है माथे पर छत
आज उनके जाने पर हर एक आंखें हैं नम,
एक ऐसी छवि जिससे नहीं कभी किसी को गम,
यादों में हमेशा रहेंगे क्योंकि वो थे बेहद अनमोल रतन
जिसकी कमी सदा रहेगी, और जिनके योगदानों से देश करता है उनको नमन
हमने भगवान तो नहीं देखा, लेकिन रतन टाटा को देखा है।
- प्रियंका राज-
कल मुझे खुद को आईने में देखने का वक्त मिला
खुद को पाया की खुद को कहीं खो दिया मैंने,
Housewife और working women के बीच खुद को कहीं फंसा दिया मैंने,
न बाल संवारने का वक्त, न बिंदी, पाउडर करने का समय,
बस kitchen और laptop के बीच खुद को दबा दिया मैंने
मुश्किल ये है की, खाली बैठ पाना भी मुश्किल है मेरे लिए
किसी और के बनाए खाना खाना भी मुश्किल है मेरे लिए
Gym में पसीने बहाने से ज्यादा घर के कामों में विश्वास है,
ऐसे ही mentality और responsibility के बीच खुद को भुला दिया मैंने
कल जब औरों के साथ बैठना का मौका मिला,
याद आया एक अरसा हुआ मुझे ऐसे मुस्कुराए हुए,
कल मुझे खुद को आईने में देखने का वक्त मिला
खुद को पाया की खुद को कहीं खो दिया मैंने।
- मेरीकलमसे✍️
- मेरी_कहानी_मेरी_जुबानी-
ज्ञान की पहली सीढ़ी है मां
शिक्षा का पहला शब्द है मां
संसार का पहला पायदान है परिवार
फिर करती है आपको स्कूल साकार
फिर समझ आती है विधा का असली सार
किंतु आज की पीढ़ी को जरूरत है,
न सिर्फ किताबी ज्ञान पर
रखना है ध्यान बनने पर अच्छा इंसान।
Happy Teachers Day-