एक चलती फिरती लाश बनकर रह गए
प्रियंका पटेल-
समुद्र की गहराई सा शांत था मेरा मन
उसकी याद दबे पांव दस्तक दे गई।।
प्रियंका पटेल-
आज फिर से अजनबी हो जाने को दिल चाहता है
तू किसी और का ही सही
पर तेरे प्यार में हम ना गिरें
ऐसी बातें कहा ये कमबख्त दिल मानता है।।
प्रियंका पटेल-
हर बार घर जाने कि एक अलग कहानी होती है ।
घर की दीवारों पर अलग निशानि होती है
कई बार गलियां बदलीं सी होती है ।
पड़ोस में रहने वाली दादी के चहरे पर
थोड़ी और झुर्रियां होती है।।
बातें हर बार अधुरी रह जाती हैं
मां के हाथ कि बनीं रोटियां वहीं छूट जाती हैं ।
ऐसा लगता है खुशीयां घटती जा रही है
और मां बाप कि उम्र बढ़ती जा रही है।।
प्रियंका पटेल-
अन गीनत् किराएदार रखने के बाद
वो बोले इस दिले मकां का कोई मकीन नहीं ।।
प्रियंका पटेल-
एक किताब और तुम्हारे ख्वाब
काफ़ी हैं अच्छी शाम बीतानें को।।
प्रियंका पटेल-
ये बालकनी और एक शायरी की किताब ।
तुम्हारे साथ शाम की गर्म चाय
बस इतना सा ही है मेरा ख्वाब ।।।
प्रियंका पटेल-
ऐसी बर्बरता से टूटें थे मेरे सपनें
कि अब एक पूरा ख्वाब भी, किस्तों मे देखती हुं।।
प्रियंका पटेल-
गर कोई पूंछे की बेदाग जिन्दगी जी कर
जाना किसे कहते हैं,
तो सबसे पहला नाम रतन टाटा जी का लेना।।।
प्रियंका पटेल-
कड़वि बातें भूल जाने का सब्र
माॅं बाप ने बचपन से ही सीखाया है।
लेकिन लहज़ा याद रखने का हुनर
दुनिया को देख के आया है ।।।
प्रियंका पटेल-