Priyanka P. Pandey   (प्रियंका प्रेमचंद पांडे)
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Jai Hind🇮🇳
Joined 25 February 2018


Jai Hind🇮🇳
Joined 25 February 2018
15 AUG 2021 AT 9:35

आजादी..................
आजादी बस एक शब्द भर नहीँ है ये उन वीरों की आंखों का बसा हुआ वो गहना है,
जिसे आज हमारी करोड़ो की आबादी ने बड़े शान से पहना है,
जो ख्वाब उन फौलादी आंखों में सजा था कभी, वो ख्वाब ,वो सपना आज बड़े शान से जी रहे है हम,
ये वरदान है भारत माँ के उन चहितों का जो इतनी खुशनसीबी से ये त्योहार आज मना पा रहे है हम,
ये एक सुंदर सा ख्वाब जो कभी उन दलेर दिलों ने अपने रूह में बसाया था ,
जिसे पूरा करने के लिए अपने जीवन तक को दांव पर लगाया था ,
उन फ़ौजि दिलों को भूले से भी कभी न भूल जाना ये दोस्त
की कैसे किसीके आंखों के तारों ने अपने कल को मारकर हमारे कल को खूबसूरत बनाया था।
अगर मन मे कभी तुम्हारे भी जागे ये ख्वाब की चुकाऊँ मैं भी कुछ कर्ज़ उन अमर जवानों के वरदानों का...
तो बस उन्हीं के जितना अपनी धरती से प्यार करना ,,
ये आजादी का तोहफा बड़ा अनमोल है इसकी आन बान और शान का अंतिम क्षण तक सम्मान करना|

----- Priyanka Premchand Pandey

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26 JAN 2021 AT 14:16

इस लहराते तिरंगे के पीछे हर खाकी वर्दी की कहानी है,

इस आजादी के जश्न में शामिल हर जवान की कुर्बानी है।।

लहरा लो ये तिरंगा मना लो ये २६ जनवरी का त्योहार,,

पर भूल ना जाओ उन शहीदों को जो दे गए है हमें आजादी का ये उपहार।।


----- Priyanka Premchand Pandey

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24 MAR 2019 AT 14:51


अपना घर अपना परिवार सारा सुख वो त्याग चले थे,
सरफ़रोशी की तम्मना लिए पाने वो इंकलाब चले थे।

छोटी उम्र में बोहत बड़ा काम कर गए वो,
अपना सारा जीवन मातृभूमि को अर्पित कुर्बान कर गए वो।

संसद में धमाका कर बहरी सरकार को जगाया था,
116 दिनों की भूख हड़ताल कर अंग्रेजी शाशन को हिलाया था।

फाँसी का फरमान सुन वो मस्तानो का टोला मन-ही-मन मुस्काया था,
मानो उन्होंने ने अपने मकसद को सिद्ध कर दिखाया था।

देश को आजाद न देख सके पर अपना कर्म निभा गए वो,
पूरे आवाम के भीतर आजादी पाने की लड़ाई जगा अपना धर्म निभा गए वो।

आजाद भारत को देखने का अधूरा सपना अपनी आंखों में लिए सो गए,
वो तो भारत माँ के चहिते थे, अपनी मातृभूमि के लिए शहीद हो गए।

जाते जाते पूरे हिंदुस्तान में क्रांति का अरमान जगा गए वो,
जमाने भर से शहीद-ये-आज़म सा नाम कमा गए वो।।।

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26 NOV 2018 AT 19:23



हम आपके के लिए वो सिर्फ तीन दिनों की लड़ाई होगी,

उस दौर का मंजर तो वही जानते है जिनके अपनो ने वहां जाने गवाई होगी।

झुका था किसी के कंधो का गुरूर...

खोया था किसी ने अपने जिगर का टुकड़ा तो किसीने अपने माथे का सिंदूर।

किसी के नापाक मंसूबों ने चारों ओर ये मातम फैलाया था,

पर...

हमारे वीर जवानों ने फिर एक बार अपने पराक्रम को सिद्ध कर दिखाया था।

हर एक घात हर एक मौत का बख़ूबी हिसाब लिया था,

हमेशा की तरह इस बार भी दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया था।

संदीप उन्नकृष्णन - तुकाराम ओंबले की कुर्बानी अपने आप में एक गौरव भरी कहानी है,

हर एक वीर की शहादत कभी ना भूली जाए ऐसी अमर जवानी है।

वो जीत वो विजय मिली थी ऐसे वीरो की शहादत से.....

भारत मां सदा ही महफूज है जिनकी देशभक्ति की इबादत से।।

---- Priyanka Premchand Pandey




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14 NOV 2018 AT 15:59

चंचलता भरा सारा दिन और मस्ती से पूरी हर रात होती है....
उस अनोखे बचपन की बात ही कुछ और होती है।।

सपनों के आशियानों में बड़े - बड़े काफिले बांधते है,
वो नादान बच्चे छोटी - से - छोटी खुशियों में खुश रहना जानते है,
ना किसी बात की फिक्र ना कोई परेशानी साथ होती है,
उस अनोखे...........

दिन भर गली मोहल्ले में शोर मचाना,
कभी पड़ोसी का कांच तोड़ना,
तो कभी मां की डांट खाना
पर अंत में...........

जाने दो बच्चा है कहकर खतम हर बात होती है,
उस अनोखे.........

शरारत से हमारी सबका परेशान हो जाना,
फिर चेहरे की मासूमियत देखकर वापस हमपर प्यार लुटाना
बस यही वो दौर है जहां बिन मांगे पूरी हर फरियाद होती है,
उस अनोखे.........

जीवन का यही सबसे अनोखा पल है,
किसिका आज है तो किसी का बिता हुआ कल है,
जवानी में भी आता इसका खयाल.....
और बुढ़ापे तक इसकी याद साथ होती है,
सच में इस अनोखे बचपन की बात ही कुछ और होती है।।।

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11 OCT 2018 AT 19:00

मैं ही हूं निर्भया
मैं ही हूं असीफा
मैं ही हूं महाभारत की द्रौपदी
मैं ही हूं रामायण की वो सीता

यूं तो कई रूप में मिला मुझे बहुत सम्मान है
पर कहीं न कहीं हर युग में हुआ मेरा अपमान है
कहने को तो मां और बहन से हमारे भाइयों का बहुत पवित्र नाता है.....
फिर क्यों इस शब्द का इस्तेमाल गालियों में किया जाता है..

जो हाथ मंदिरों में मुझे पूजते है
वही हाथ सरेआम मेरे सम्मान को क्यों लूटते है।

यूं तो हर जगह मिला मुझे बराबरी का मान है
फिर क्यों मेरी स्वाधीनता आज भी कहीं गुमनाम है।

जब पूछती हूं मां से मेरे अपराधियों को सजा क्यों नहीं दी जाती है?
बदनामी होगी बेटा....
ये कहकर हर बार मेरी आवाज दबा दी जाती है
उस नीचता की हर बात मुझे खलती है...
यहां पर तो मेरी मासूमियत भी डर डर कर पलती है।

इस देश का स्वरूप भी तो मैं ही हूं,
मां भारती का रूप भी तो मैं ही हूं,
तो क्या यही इस देश की तस्वीर होगी,
चुप रहकर सब सहना क्या यही हमारी तकदीर होगी

न जाने कब मेरे अपराधियों को उनका अंजाम दिया जाएगा...
न जाने कब न्याय के नाम पर सिर्फ "कैंडल मार्च" नहीं कोई कड़ा संविधान आएगा।।

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21 SEP 2018 AT 20:43

जिंदगी का सफर बड़ा आसान नजर आता है,
पर मंजिलों का रास्ता बड़ा कठिन कहलाता है।
पहली बार में ही किसीको उसका मुकाम नहीं मिलता,
बात तो सच है कि बिना मेहनत के कोई सफल अंजाम नहीं मिलता।
ये रास्ता ये सफर इंसान को उसकी असली पहचान कराता है,
हर हार उसे जीत के एक कदम नजदीक ले जाता है।

मत भूलो....
कोयला भी हथोड़े की मार सेहता है,
सोना भी अग्नि की ज्वार सेहता है,

कुछ मुश्किलों से फिर ये इंसान क्यों ठहर जाता है,
खुद को असफल पाकर क्यों अपने प्रयास से मुकर जाता है।

ऐ इंसान तू चुनौतियों से ना डर.....
माना कई मोड़ पर ठोकरों से मुलाकात होती है,
पर यही तो सफलता की असली शुरुआत होती है।।।

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15 AUG 2018 AT 21:01

आज के दिन हमें आजादी मिली थी?

मिली नहीं वो आजादी हमने पाई थी,
देश के वीर जवानों ने ये आजादी कमाई थी।

गुलामी की बेड़ियों ने सोने की चिड़िया को जकड़ा था..
न जाने कितने बेटों ने अपनी मां का दामन छोड़ भारत मां के आंचल को पकड़ा था,
आजादी का सवेरा देखने को उनका मन्न बेकरार था,
बस यही जुनून और देशभक्ति का नशा मानो सब पर सवार था।

मंगल पांडे की कारतूस की लड़ाई ने गोरी सरकार को हिलाया था,
देश के इस लाल ने मौत को भी चूमकर अपने गले से लगाया था।

बिस्मिल - आजाद की यारी अंग्रेजी शासन पर पड़ी भारी थी,
हर देशवासी के भीतर क्रांति पैदा करने की, की इन्होंने जो तैयारी थी।

भगत सिंह का तो कुछ अंदाज ही निराला था,
हर समय इनकी जुबां पर बस्ता सिर्फ इंकलाब का नारा था,
आजादी को अपनी दुल्हन बनाया था,
जमाने से इन्होंने शहीद - ये - आजम का किताब पाया था।

इन सब वीरों में शामिल एक और कहानी थी,
कैसे भूल जाए वो झांसी वाली रानी भी कितनी मर्दानी थीं।

इस दिन के सपने इनकी आंखो ने संजोए थे,
मत भूलना कभी सिर्फ इस दिन को पाने के लिए इन्होंने अपने प्राण खोए थे।

देश के लिए कुर्बान हुई ऐसी हजारों जवानी है,
सिर्फ तारीखों पर याद की जाए नहीं ये वो कहानी है।

ये आजादी ये समां इन क्रांतिकारियों का दिया हुआ उपहार है,
और ये एआजादी किसिकी शहादत से आज भी बरकरार है।।

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15 AUG 2018 AT 10:33

कहानी है ये अमर जवान की,

भारत मां  के वीर बेटों के शान की........

कटा गए वो सिर अपना हिमालय की शान में,

बहा गए वो लहू अपना धरती बनी शमशान में।।

भारत मां  की गोद मे  न  जाने  कितने लाल सोए हैं,

न जाने कितनी माओं ने अपने जिगर के टुकड़े खोए है।।

माना लो  ये आजादी   का जश्न आज जो तुमने पाया है,

अपनी जवानी कुर्बान करके जिसे हर जवान  ने कमाया है।।।।।

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27 JUL 2018 AT 5:31

The two important GURU of every human beings life.

1. Parents : who teaches us "the way to live life".

2. Teachers : who teaches us "the way to make life successful".

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