Priyanka Nandini  
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Joined 29 November 2017


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Joined 29 November 2017
26 APR 2023 AT 12:19

कोई संसार से मुक्त होने आता
कोई मुक्ति में अपना संसार ढूंढ़ने
हर किसी के दिल में...
अपनी कहानी है काशी घाट की

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21 APR 2023 AT 15:38

कभी रातें फूल सी गुज़री है
कभी धुप घनेरी पायी है
लेकर कितने शक्ल तो देखो
मिलने ज़िंदगी आयी है
ज़ख्मों की श्रृंखला बन
कभी... मां❤ बन मरहम लायी है
लेकर कितने शक्ल तो देखो मिलने ज़िंदगी आयी है..
✍ नंदिनी

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20 MAY 2022 AT 17:21

हम जीवन में कितनी ही यात्राएं करते हैं

*कुछ घर से मंज़िल की
*कुछ अपने मुस्कुराहट से लोगों के दिलों की

ये दूसरी यात्रा.....
अंत समय में स्मृतियों में आ सुकून दे जाती।

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16 OCT 2021 AT 14:59

तुम रात के चाँद की शीतलता
मैं उसमें सिमटी ओस..

तुम बच्चों की निश्छल हंसी सी
मैं उस हंसी की कोमल रेखाएं..

तुम प्रयागराज के संगम
मैं तुम में बहती धाराएं।

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26 SEP 2021 AT 19:59

ईश्वर ने कुछ कविताएं लिखी जब प्रकृति को बुना
कुछ हरा कुछ नीला कुछ सतही कुछ गहरा
और सबसे प्यारी कविता के रूप में बेटी को चुना

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1 SEP 2021 AT 20:19

बेहिसाब बारिश की बूंदे
हमारे मन को तर जाती
खाली होती बादल की आंखें
जब भर जाती

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1 SEP 2021 AT 15:37

जब हम अकेले में होते हैं
दरअसल ...
यादों के मेले में होते हैं।

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15 MAY 2021 AT 14:10

बचपन में कई बार खेलते खेलते हम कुछ खिलोने महज़ कहीं भी रखकर भूल जाते और खोजते पर नहीं मिलता हां मिलता तब जब हम उसके बारे में भूल चुके होते अचानक अनायास बिल्कुल किसी तोहफे की तरह जिसकी कल्पना न की हो।
ज़िन्दगी में आज भी उसी बच्चे की तरह हैं और वो खिलौने हैं हमारे परेशानियों की चाभी ! वो खोई मुस्कुराहट..
ईश्वर हमें लौटाएंगे ज़रूर लौटाएंगे अचानक असमय उस खोये खिलौने की तरह । आंखे खुलेंगी इक सुबह सामने - होगी हमारी खोई मुस्कुराहट।

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9 MAY 2021 AT 7:27

काली रात के बाद की
उजली सहर सी लगती है
सर्दी के मौसम की
खूबसूरत दोपहर सी लगती है

रोटियां बनाकर आये और
पसीने की बूंद जब माथे पर जगमगाए
तो कभी ओस की बूंदो सी तो
कभी कोहिनूर सी लगती है

रोकर जब आंसू पोछ मुस्कुराती है
" हर बच्चे को उसकी माँ
किसी हूर सी लगती है।"

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1 APR 2021 AT 21:05

जीवन में वसंत की कामना लिए हर मन चल रहा है
तुम बनना साथी रेगिस्तान की तरह जो उगने वाले कैक्टस को भी गले लगाता
कई हरे वृक्ष से प्रिय वो कैक्टस होते हैं जो मीलों उदासी में रेगिस्तान का साथ देते।
रूप मायने कहाँ रखता जहां साथी बूंद हो उम्मीद की।

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