पूछते हैं लोग इश्क़ का वफ़ा तक मज़मून क्या है
मानो ....पूछ रहें हो
जिस्म का रूह तक का फ़ासला क्या है ?
इन्तज़ार का लम्हा तो जोड़ काटकर समझ आ जाएगा
मगर वफ़ा का क्या?
अरे यह तो उम्र ही ले जाएगा
क्यों कि इश्क़ का तक़ाज़ा है इतना ही
कि जीते जी मर जा या फिर
मरकर भी ज़िंदा रह ... नन्दिनीप्रिया
02.02.2021
8:33 pm
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