मां लक्ष्मी का आगमन हो
विघ्नहर्ता सुखहर्ता शुभ लाभ हो
दियाली सा जगमगाता सबका जीवन हो
मिठाई सी मिठास सबके रिश्तों में हो
खुशियों से भरा दिवाली का त्यौहार हो ।
परिवार की खट्टी मीठी यादें हो
फुलझड़ी पटाखों का शोर हो
पकवान व्यंजनों की महक हो
सबके घर दियो की रोशनी हो
सब पर भगवान का आशीर्वाद हो ।
आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏-
Birthday - 3 feb 🎂
Co-author- 65 Anthology
Compiling- 3 An... read more
है कुछ अंदर से जो टूट रहा
धीरे धीरे फिर बिखर रहा
कतरा कतरा समेट कर
मन का शोर निगल रहा !!
चार दिवारी में कुछ न रखा
जर्जर छत है गिरने को
बाहर से सब रंगीन दिखता
अंदर घर है ढहने को !!
खोखली हो जाती है
जब बुनियादे नींव की
मसलों से ना होता जोड़
जब मन में गांठे पड़ रही !!-
अंधेरों में कुछ यूं सन्नाटा छाया हुआ है,
चारों तरफ घटाओ का कोहराम छाया हुआ है ।
बादल भी कुछ यूं फट रहे अपने आक्रोश में,
की नदियों में सैलाब का मंजर आया हुआ है ।
प्रकृति से खिलवाड़ करके देख लिया सबने,
कितने गांव, शहर, पहाड़ पानी में डूबा हुआ है ।
है नहीं बस में इंसान के कुछ भी मगर,
खुद को यूं ख़ुदा ऐसे बनाए हुआ है ।
मैं में जीता इंसान गुरूर को सिर लिए,
ईश्वर की नज़र से पूरा ब्रह्मांड हिला हुआ है ।-
बिन कहे जो हर बात समझ ले
मेरे सारे अरमानों को अपना बना ले
ऐसा महबूब दिया है खुदा ने मुझे
गर निकल जाए एक कतरा मेरे अश्क का
पूरा जहां सर पर उठा ले ।-
जिसने झोलियों में दुआ दी हो,
उस मां की ममता किससे पूछे ?
जब वफ़ा की कीमत ना हो,
उसकी जवाबदारी किससे पूछे ?
गर परिंदों के घरौंदे ना हो,
उनका आसमां किससे पूछे ?
सर पर जब हाथ ना हो,
पिता की मौजूदगी किससे पूछे ?
राहगीरों का कोई राह ना हो,
उनकी मंजिल किससे पूछे ?
जो ज़ख्म अपनों के दिए हो,
उसका मरहम किससे पूछे ?
मोहब्बत में जब कोई हद ना हो,
उसका अंजाम किससे पूछे ?-
बेटियां
बेटियां दो घरों को बनाती है
पर कोई घर उसका ना हो पाता है ।
कहने को दो माता-पिता होते है
पर किसी एक की होके ना रह पाती है ।
माता पिता की छांव में जो सहज रहती है
फिर जिम्मेदारियों में खुद को भूल जाती है ।
दो पल प्यार के कोई बोल क्या दे इनसे
ये छोटी छोटी खुशियों में खुश हो जाती है ।
मायके की चहचहाट बेटियां होती है
ससुराल की रंगत घर की बहु होती है ।
इन दो कलाकारों को जीती है लड़कियां
बेटी से बहु का सफ़र करती है बेटियां ।-
हवा का रुख बदलेगा मालूम था
पतझड़ में पत्ते बिखरेंगे मालूम था
दरख़्त की छांव में रहकर पता चला
मौसम की फ़िज़ा बदलेगी ये मालूम था ।-
पतिदेव
मेरा सब कुछ
आप हो
मेरी सारी शिकायतों
सवालों का जवाब
आप हो ।
क्या गिला शिकवा करू आपसे
मेरा तो पूरा संसार
आप हो ।
आप हो तो हम है
मेरी सारी खुशियों की वजह
आप हो ।
माता पिता भाई बहन के बाद
मुझ पर जान लुटाने वाले
आप हो ।
ईश्वर आपको लंबी उम्र दे
क्योंकि मेरे चेहरे की हंसी
मेरा रुतबा मेरा गुरूर
आप हो ।-
सुहाने मौसम का हर मंजर अच्छा लगता है,
सफ़र बहुत किया पर अब घर अच्छा लगता है।
बाहर मिलने वाला हर शख़्स अपने जैसा है,
रूह को बसर कर जाए वो अक्सर अच्छा लगता है।
अपने जज्बातों को बयां करते करते,
कभी सन्नाटे का शोर भी अच्छा लगता है।
संघर्षों से जीत कर खुद को निखारा मैने,
आज खुद को आइने में देखकर अच्छा लगता है।
शहर दर शहर सो के देख लिया लेकिन,
जैसा भी हो अपने घर का बिस्तर अच्छा लगता है।-
धीमें धीमें बिखर रहा
ज़र्रा ज़र्रा जाने कौन
फूलों के ना खिलने से
मिट्टी का दर्द जाने कौन
मन की बात बता डाली पर
सन्नाटे का शोर समझे कौन
बूंद बूंद से सागर भरता
इसकी प्यास को समझे कौन
बाजारों की चकाचौंध में
आवाजों को सुनता कौन
पर जब हम मिल जाते है
खो जाता है जाने कौन-