Priyanka Mishra   (प्रियंका)
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Joined 26 October 2021


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6 MAY AT 11:32

धीमें धीमें बिखर रहा
ज़र्रा ज़र्रा जाने कौन

फूलों के ना खिलने से
मिट्टी का दर्द जाने कौन

मन की बात बता डाली पर
सन्नाटे का शोर समझे कौन

बूंद बूंद से सागर भरता
इसकी प्यास को समझे कौन

बाजारों की चकाचौंध में
आवाजों को सुनता कौन

पर जब हम मिल जाते है
खो जाता है जाने कौन

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14 MAR AT 11:50

तेरी चाहत में कुछ ऐसी रंगी हूं ,
गुलाल के रंग से फीकी पड़ी हूं ।

कुछ राधा सा कुछ मीरा सा प्रेम ,
आज तुझे रुक्मणि के रंग से रंगती हूं ।

तेरे बगैर बेरंग थी ये मेरी दुनिया ,
आज इसमें जहां के सतरंग भरती हूं ।

सोचा आज शब्दों की होली खेलती हूं ,
कुछ अल्फ़ाज़ से थोड़ा शबाब से खेलती हूं ।

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19 FEB AT 11:01

यूं तो फ़लक तक पाने की कोशिश रही,
ख़ुद के वजूद को तलाशती रही,
मुक्कमल हुआ ख़्वाब कुछ इस तरह से,
की अब कुछ भी पाने की चाह ना रही ।

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19 JAN AT 9:23

काश ! तुम मेरी याद में ऐसे उलझ जाओ,
यहाँ मै तुम्हारे बारे में सोचूं ,
वहां तुम समझ जाओ !!

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31 DEC 2024 AT 23:48

तुझसे ए जिंदगी
बीते साल में बहुत कुछ सिखाया तूने
अपनों को करीब भी लाया तो
बहुतों को दूर किया तूने
कुछ खोया तो बहुत कुछ पाया मैंने
फिर से उम्मीद का घरौंदा बनाया मैने
वक्त के हसीं सितम भी देखें
तो उसमें सब्र के सही फैसले भी देखें
हर साल की तरह ये साल भी गुजर गया
जिन्दगी के मका में एक ईंट और ढह गया
चलो किसी नए एहसास जज़्बात की
शुरुआत करते है आने वाले कल की।

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

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26 DEC 2024 AT 22:15

यूं तो हवाओं में घुली है इश्क की चांदनी,
महज इज़हार कर देने से इश्क़ नहीं होता ।

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26 DEC 2024 AT 21:22

हर चाहत मुक्कमल हो गयी,
तुझसे मिलने के बाद मोहब्बत हो गयी ।

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7 DEC 2024 AT 22:00

जज़्बातों में फिर उलझने लगी हूँ ,
शायद तुमसे मोहब्बत करने लगी हूँ ।

अल्फ़ाज़ बहुत है कुछ बोलने को ,
लेकिन तुझे खोने से डरने लगी हूँ ।

समाज की कायदे रस्में ना जानू ,
तुझे मिलकर सब भूलने लगी हूँ ।

तमन्नाओं की कतार कुछ इस तरह हो गई ,
की एक तेरे होने से खुद को पूरा समझने लगी हूँ ।

अच्छा सुनो....इस एक शब्द में ना जाने कितने ख़्वाब बुनने लगी हूँ ,
कोई सिर्फ़ मेरा है ये सोचकर ही खुश रहने लगी हूँ ।

हाँ शायद तुमसे मोहब्बत जो करने लगी हूँ ।

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22 MAY 2024 AT 20:30

मुश्किलों ने सब सिखाया ।
कल तक मुझे अपना कहते थे
आज गैरों के लिए मुझे गिराया ।

चंद पलों की मुसीबत क्या आयी
लोगो ने जमकर इल्जाम लगाया ।
रहा ना कोई मेरा अपना यहाँ
जिनके लिए मैंने आंसू बहाया ।

महफ़िल में बने रहने के लिए
लोगों ने बुराई का साज उठाया ।
जीते जी मेरी नियत को ना समझा
मरते ही मेरे जनाजे को सजाया ।

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16 MAY 2024 AT 20:16

आखरी बार मिलते वक्त कई ख्याल रहते है
दुबारा मिलेंगे या नहीं ऐसे कई सवाल रहते है
मगर उस पल को इतनी शिद्दत से जीना
वरना ताउम्र ना मिलने के मलाल रहते है ।

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