Priyanka Mishra   (प्रियंका)
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Joined 26 October 2021


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24 FEB AT 21:23

रास्तों को क्या पता की उनकी मंजिल कहां तक है,
मंजिल को क्या पता की उनका ठिकाना कब तक है ।

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24 FEB AT 20:59

जब दिल टूट जाए तो मन उदास ना करना ,
जो रिश्ते पीछे छूट गए उनका मलाल ना करना ।

बीते पलों में कुछ गलतियां या गुनाह किया होगा ,
अब कुदरत के फैसलों का हिसाब ना करना ।

जिंदगी यूं ही कट रही तमाम उलझनों में ,
बात मोहब्बत की हो तो सवाल ना करना ।

लकीरों का लिखा मुकद्दर में मिलता कहाँ है ,
जो मिला नसीब से उन पर बवाल ना करना ।

बदलते लोगो पर कभी ऐतबार ना करना ,
जो आपका है नही उनका खयाल ना करना ।

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22 JAN AT 9:48

ताजमहल की बात तो अब पुरानी हो गई,
अब ये दुनिया श्रीराम मंदिर की दीवानी हो गई ।

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31 DEC 2023 AT 23:27

अलविदा

गुजरते साल ने बहुत कुछ सिखाया हैं,
कुछ अपनों से तो कुछ परायों मिलाया हैं।

बदलते रिश्तों से भरी इस दुनिया में,
झूठे मुखौटो पहने चेहरों को दिखाया हैं।

ये वक्त भी अपने ताने बाने बुनने में,
कुछ किस्से नए तो कुछ पुराने दोहराएगा।

सब गुजर जायेगा बीते लम्हें के साथ,
आज जो हैं वो था में ठहर जाएगा।

कुछ पल बाद से एक नई शुरुवात होगी,
शायद मेरी भी अपनी एक पहचान होगी।

नहीं झांकना मुझे बीते कल में अब,
बस खुद के वजूद की तलाश होगी।

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8 NOV 2023 AT 23:42

तुझे पाकर गर पा लिया तो चाहत किसकी रहेगी ,
दिल और दिमाग के बीच ये जंग कब तक रहेगी ।

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8 NOV 2023 AT 23:13

बुरे वक्त की यादें अब मिटाने लगी हूं ।
तुझे देख कर यूं ही मुस्कुराने लगी हूं ।।

हकीकत में अब खुद को भुलाने लगी हूं ।
मैं खुद को खुद में अब तलाशनें लगी हूं ।।

बेवफाई देख कर अब वफाएं करने लगी हूं ।
हाँ तुझमें खुद की परछाई देखने लगी हूं ।।

मोहब्बत का नगमा गुनगुनाने लगी हूं ।
बुझते दिये को अब जलाने लगी हूं ।।

तुझे मिले बिना एक कहानी सजाने लगी हूं ।
मेरी जिंदगी का एक किरदार तुम्हे बनाने लगी हूं ।।

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27 OCT 2023 AT 19:07

सब मसले गर सुलझ जाए तो तकलीफ़ किस बात की,
कुछ अनसुलझे मसले भी इस दिल को अच्छे लगते है।

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24 SEP 2023 AT 23:53

कुछ अधूरे से रिश्तें पड़े हैं बाज़ार में !
वफ़ा है जिसकी कीमत भरे बाज़ार में !!

कोई संभला बहुत तो कोई गिरा बहुत !
यूँ ही नही दर्द मिलते है भरे बाज़ार में !!

ख़रीददार की पारखी नज़रों को क्या कहें !
कोई नज़र को भाये तो भरे बाज़ार में !!

अब वो सोचते है हम उनसे मुस्कुरा कर मिलें !
अजी मेरा दिल बिकाऊ थोड़ी ना है भरे बाज़ार में !!

मेरे अनसुलझे क़िस्से के किरदार है इस बाज़ार में !
जो मेरी रूह को बसर कर गये भरे बाज़ार में !!

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31 JUL 2023 AT 23:46

उम्र निकल गयी किसी अपने को अपना बनाने में !
छोटी छोटी खुशियाँ जोड़ कर यादें बनाने में !!

कुछ यूँ वक़्त गुजरा खुद को संभालने में !
पाँव की बेड़ियाँ खोल खुद को बनाने में !!

रिश्तों की बँधी जंजीरों को खुद सुलझाने में !
एक पहर निकल गया तुम्हें अपना बनाने में !!

हाँ मानती हूँ एहसान तुम्हारा मुझको उठाने में !
सारे जज़्बात बाँट लिया तुमने मेरा सपना बनाने में !!

कुछ ही देर हुई थी मुझे उसका हाथ थामने में !
बस खुदा ने जल्दी कर दी मेरा नसीब बनाने में !!

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31 JUL 2023 AT 2:05

बेसबर सी जिंदगी में अफ़साने बहुत है !
कुछ ही अपने है और पराये बहुत है !!

उतार-चढ़ाव तो जिंदगी का नाम है !
जहाँ खुशी कम और गम बहुत है !!

लोगों की शख्शियत ऐसी हो गयी है !
मुँह पर मीठे पीछे ज़हरीले बहुत है !!

अपनो के बीच अब अपना कौन है !
यहाँ हर शख्स मुखौटा पहने बहुत है !!

सुकून के चंद पलों की किश्तें बहुत है !
उठाने वाले कम गिराने वाले बहुत है !!

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