ज़िन्दगी-ऐ-ज़िन्दगी ...
तू कुछ इस कदर अपना बनाती है हमें,
कि हमारी ही पहचान दीवाना बताती है हमें..!🍁-
माना जीवन में सब व्यस्त हैं
फिर भी सबके प्रति आभार व्यक्त है..!🍁-
मुझे मुझसे मोहब्बत हो गई है..
लगता है आईने की धूल साफ हो गई है..!🍁-
गुलाबी सर्दी में तन्हा दो दिल मिल जाने दो
सूखे दरख्त पर बहार आने दो..
क्या पता तुम्हारी दुआ कूबूल हो जाये
बरसों रही जो कहानी अधूरी मुकम्मल हो जाये..!🍁-
कि एक बार फिर से मुलाक़ात हो...
पलकों में एक बार फिर से
ख़्वाब की शिरकत हो...
यूँ ना तन्हा कटे सफ़र ज़िन्दगी का...
ज़िन्दगी तुमसा एक हमसफ़र चाहती है...!🍁-
लगता है कि इश्क़ हो चला है
किसी नये जोड़े को..
देखो तो डायरी के पन्नों पर
फूल खिला है..!🍁-
चुटकी भर सिन्दूर माँग में सजाने से पहले
उसकी कीमत जान लो..
नज़रें झुका कर स्वीकार करने से पहले
उसकी आँखों में झाँक लो..!🍁-
सूख गया था डायरी के पन्नों पर
पलकों के कोर से क्या गिरी..
तेरी याद की बूँदें,
सूखे हुए गुलाब पर बहार आ गई..!🍁-
फ़कत यूँही
मुलाक़ात नहीं होती अनजान से
कहीं कुछ अधूरा
छूट गया होगा कायनात से
ज़मीं का
मयस्सर नहीं फ़लक से मिलन
तभी बनकर बूँदें
उलफ़त है बरसती आसमान से..!🍁-
क्या खूब रंग लाया..
गुलाबी ठण्ड में, हल्की सी धुंध को,
अदरक की खुशबू से महकाया...
सोता हुआ अलसाया सा मीत मेरा,
दिल के करीब आया..
चाय का इश्क़ मेरा क्या खूब रंग लाया..!🍁
-