झूठ फरेब और चटके रिश्तों का मलवा
अब बेहिसाब नहीं चाहिए।।
यूं इश्क में रुसवा हुईं बकवास कहानी का
बोझ नहीं चाहिए।।
ज़िंदगी में दर्द का एहसास ही सही पर तेरे इश्क़
में झूठी मुस्कान नहीं चाहिए।।-
इन कविताओं और कहानियों के माध्यम से ख़ुद को उतारना चाहती हूँ..📝
कभी... read more
हम इश्क इश्क चिल्लाते रहे
हमें धोखे ने दबोच रक्खा था।।
जल कर खाक हो रहा था जहां मेरा
और हमने
इश्क की खुशबुओं को
समेट रक्खा था।।-
परेशानियों से डरी नहीं हूं।।
थोड़ा थक गई हूं।।
अभी मरी नहीं हूं।।-
आओ चीत का बोझ हलका किया जाए।।
मैं रूठूं तो माना लिया जाए।।
मैं बिखरू तो समेट लिया जाए।।
प्रेम की कश्ती को किनारा दिया जाए।।
प्रेम में समझौता नहीं दुआओं में तुझे मांग लिया जाए।।
आओ चीत का बोझ हलका किया जाए।।-
तड़पती ज़िंदगी से तो मौत का आना ही
बेहतर होता।।
ना हसीं ना खुशी अब तो ज़िंदा होने का
एहसास भी नहीं होता।।
हारना तो ज़िंदगी को मौत से एक दिन है
पर वो किस्सा आज़ क्यों नहीं होता।।-
दर्द दे कर ज़िंदगी कुछ यूं मुस्कुरा रही हैं।।
जैसे बालकनी में बैठ सिगरेट के छल्ले उड़ा रही हैं।।-
हे ईश्वर कर कोई ऐसा हादसा के मेरी जान निकल जाए।।
मैं आत्म हत्या कर कायर नहीं कहलाना चाहती।।-
कमियां बहुत हैं मुझमें।।
पर नज़र अंदाज़ करने की कला जो तुमसे सीखी है वो लाज़वाब हैं।।-
हमें हिस्सा अपने हिचकियों का
ही बने रहने दे जनाब।।
सिस्कियों का नही।।-
तोड़ कर जंजीरें तेरी कैद से ख़ुद को कर देना है आज़ाद मुझे।।
एक दिन ज़िंदगी की क़िताब का देना है हिसाब मुझे।।
अब अच्छी नहीं लगती ये तेरे इश्क़ की बंदिशें मुझे।।
तेरी दोहरी शख्शियत कर जाती हैं बर्बाद मुझे।।
निगाहों से गिरा कर ख्याले जाना से हो जाना है सावधान मुझे।।-