ज़िक्र उनका मेरी हर बात में होता है
मैं लिखती हूं गजल तो
मेरी गजल का हर लफ्ज़ उनकी याद में होता है ..!-
बस कुछ अल्फाज़ लिखती हूँ
ज्यादा तजुर्बा नहीं है जिंदगी का
बस कुछ अपने औ... read more
रूठ तो हम भी जाए पर कोई मनाने वाला तो हो
हमे मनाने वाले तो खुद रूठ कर बैठे है
हम भी उनसे रूठे है कोई उन्हें बताने वाला तो हो ..!-
बदतमीज तो बहुत देखे
पर तुझ सा बेबाक ना देखा
दगा करने वाले तो बहुत देखे
पर आंखो सामने दगा करता है
तुझ सा दगाबाज ना देखा ...!-
तुम खास थे लेकिन अब नहीं
तुम दिल के पास थे लेकिन अब नहीं
तुम्हारे साथ रहना तो मजबूरी है क्योंकि
तुम्हारे लिए जो एहसास थे वो अब नहीं ..!-
एक तरफा महोबात भी कहा आसान होती है
हम उनके दीदार को तरस जाते है
और वो नजर अंदाज कर निकाल जाते है..!-
मेरे हाथो की लकीरों में भी
तेरे नाम का पहला अक्षर बनता है
तेरे बिना कहां ये दिल लगता है
वो तो खुदा ने तुझे किस्मत मे ना लिखा
वरना इस दिल पे तो तेरा ही हक बनता है...!-
मशवरे बहुत बताए मैने गैरों को खुश रहने के
पर जब खुद पर आजमाया
तो एक भी मशवरा काम ना आया ..!-
वो मेरे शहर मे रहती है
मै उससे मिलने को तरस ता हूँ
लोग मुझे उसके आशिक के नाम से जानते है
और मै उसके मुँह से मेरे नाम सुनने को तरस ता हूँ
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ज़ब मै निकलू तेरे मोहल्ले से
तो मुझ से नजरें मिलाया ना कर
लोगो को जवाब देना मुश्किल हो जाता है
तू मुझे देखे कर मुस्कुराया ना कर.. !-