उसने स्वइंद्रियों पर काबू पा लिया
खुद पर विजय पताका को फ़हरा लिया-
मस्जिद में हर कोई नमाज़ी नहीं... read more
1.जब कोई नहीं सुनता तब उसे मेरे
शब्द सुनते हैं...
2.जब दर्द ए दिल हद से गुज़र जाए तब
कागज़ पर कलम से शब्द उभरते हैं-
तुम हो
तुम्हारी यादें हैं
और
नि:शब्द मैं ...
तुम्हारी यादों के बीच
घिरा हुआ
बेहद तृप्त...
तुम्हारे प्यार के क़तरे क़तरे
से भरपूर....-
जो भी तेरे दिल में है छिपा
कर दे अब बयाँ दिल की बातें
प्यार का गहरा समन्दर जो है भरा
तेरे दिल की गहराईयों में जो हैं
मेरे प्यार के बेशकीमती हीरे,मोती
वो बयाँ कर देती हैं तेरी शरारती आँखे
आँखे शोर मचाती हैं
बयाँ कर देती है हौले से रात का फ़साना
मैं तेरा हूँ तू मेरी है
सुना देती है हमारे प्यार का फ़साना
आँखे शोर मचाती है...-
ये दिल कहाँ मानता है
बात सुनूँ इस दिल की
या दुनिया वालों की
इस कश्मकश से दिल
हार मानता है
दिल के आगे घुटने टेक
प्यार को ही बस
अपना.खुदा मानता है-
हिज्र में मिली तन्हाई के बाद
रहती है वो उम्र भर तुम्हारी तरह 'पीहू'
जो फ़िर संभल न सके ठोकरों के बाद
यूँ ही ना-उम्मीद नहीं हुए हैं हम ऐ दिल
आया है ये मक़ाम बहुत कोशिशों के बाद
अब घर लौटना नसीब हुआ गर्दिशों के बाद
-
तुम में ऐसी कशिश है
तुम्हारे संग बिताये पल
ज़िंदगी से भरपूर लगते हैं
वर्ना तो हिज्र की रात
चरागों में भी गुज़र जाए
तो लगता है बहुत काली है-
जो देखे हैं तुम्हारी आँखो में
प्रेम के गहरे अथाह समन्दर
डूब के उस समंदर में
खो दिया खुद को
जो खो दिया खुद को
तो पा लिया तुम को
जो पा लिया तुम को
तो बाँध लिया खुद को
तुम्हारे संग ...
गठजोड़ के बन्धन में
जीवन भर को...
हमसफ़र बनाकर
थामा हाथ तुम्हारा-
अदना सी ख्वाहिश है तेरी सोहबत में बैठने की
गोया महसूस हो मुझको कि जन्नत में बैठी हूँ-