Priyam Shrivastava   (प्रियम श्रीवास्तव)
691 Followers · 1.4k Following

read more
Joined 17 September 2017


read more
Joined 17 September 2017
18 FEB AT 23:56

तुम और तुम्हारा चेहरा,
जैसे—
चांद का मुखरा!!

-


24 JUN 2018 AT 12:53

सोचा था, भींगे हम तेरी बारिश में मगर-
तेरा अचानक-बिन कहे आना- और चले जाना-
कुछ नया नहीं था मेरे लिए-
सोचा था, पीपल के पत्ते से टपकती ओस की-
पारदर्शी और निश्छल बूंदे-
जो घने व्योम से टपकेगी और-
मुझे अपने आप में सरोबार करेगी-
पर ये मुझसे नजरें चुराना-
औऱ अचानक जमीं पे, अपने प्यार से ठंढक देना-
एक अलग का एहसास था-
पर, ये तू ऐसे नज़रें क्यूँ चुराती है-
जैसे, तुम किसी अनजान के घर दस्तक दिये हो-
ऐसा लगता है, जैसे-
किसी और के लिए, मुझसे छुपके नतमस्तक हुए हो-
तेरे पारदर्शी और निश्छल भाव से ही तो मुझसे प्यार था-
जो तुझसे, उन काली व्योम से बरसते-
झमाझम बारिश से अलग बनाता था-
पर अचानक, तुम इस तरह से खुद को-
अपने आप को- उस तरफ क्यूँ ले जा रहे हो-
जहाँ, तेरे लायक कुछ भी नहीं-
जहाँ, तुम खुद से- ख़ुद के लिए बग़ावत करोगी-
फ़िर भी-
बता रहा हूँ, अपना समझ के-
मत जा उस घनघोर बादलों के बीच में-
जहाँ से तुम इस खूबसूरत दुनिया से अलग हो जाओगी-
तेरे अपने पीछे छूटने लगेंगे और,फिर-
धीरे-धीरे- सब कुछ बदलने लगेगा-समय है अभी-
फिर से बरस जा-
तपती धरती को भीगा जा!!

-


20 NOV 2021 AT 8:53

एक अज़ब सी बात है-
तेरे होने का अहसास हीं अलग है,
जब तुम होते हो आस-पास तो,
मैं, मैं नहीं होता हूँ-
मैं नींदों की लहरों में-
ख्वाबो की गहराई से उठकर,
रौशनी की चाहत में-
अपने चाहत को, सीने से समेटे हुए-
जगमगाती रौशनी,जब तुम्हें-
अपने प्रकाश से प्रज्जवलित करती है-
और-फिर प्रज्जवलित चेहरे पर तेरे-
प्यारे मुस्कान औ- सच्चे ज़ज़्बात-
उसके पीछे छिपे हुए अपनापन,
तो मैं समझ पाता हूँ-
मेरे लिए-क्या है-
तेरी अहमियत!तेरी अहमियत!

-


28 APR 2021 AT 6:38

हांफता हुआ सिस्टम, टूट रही हैं सांसे-

हो रहे है चुनाव, बिछ रही हैं लाशें!!

#विश्व_गुरु_भारत

-


22 OCT 2020 AT 19:54

Celebrate the Home Quarantine with Your Valentine!!

-


20 MAR 2020 AT 10:59

Celebrate the Home Quarantine with Your Valentine!!

-


17 AUG 2019 AT 1:20

जब बारिश होती है, तो मैं देखता हूं-
कि-
न रहता है कोई भेदभाव-
जो रंगों के आधार पे बाँटे जाते है-
और हम सब-
एक होके-
इस बारिश की पानी से-
नहाना चाहते है- और नहाते भी है-
काश, हमारा देश भी इस बारिश की बूंदों जैसा होता और सोचता भी-
जहाँ, न कोई द्वेष होता-न कोई हीन भावना-
सब होते आपस में भाई-भाई-
ना होता कोई महिषासुर,
न होती कभी कोई लड़ाई!
पर, जब भी बारिश होती-
हम नहा लेते,
और कर देते 'एक' इस कौम के लोगों को!

-


8 AUG 2019 AT 23:21

आज से हम सब अपने-अपने अक्स ढूँढे-
क्यूँ ना हम सब खुद के अंदर के शख्स ढूँढे-
याद तो आती है वो बीते हुये कल अक्सर-
चलो आज वही पुरानी किताबों से उसके नक्स ढूँढे!!

अक्स: परछाई
नक्स: चित्र, तस्वीर

-


1 AUG 2019 AT 22:23

जिंदगी है मझधार में, जिये जा रहे है,
बस साहिल की खोज में चले जा रहे है-
हम आ चुके है एक ऐसी पड़ाव पे, जहाँ-
हर एक सहर, ख़ुद से वादा किये जा रहे है,
बस खुद से हीं निभाये जा रहे है।।
जिंदगी है मझधार में, जिये जा रहे है,
बस साहिल की खोज में चले जा रहे है!!

-


27 JUL 2019 AT 10:25

सब कहते है कि मैं टूटा हूँ,
प्यार का मारा हूँ-
वफ़ा न निभ पायी मुझसे,
क्यूंकि मैं लिखता हूँ!
पर,
मैं जीता हूँ, मैं जोड़ता हूँ,
जगाता हूँ अलख प्यार की,
मैं निभाता भी हूँ कतरा-कतरा वफ़ाई इनसे-
क्यूंकि मैं लिखता हूँ!!
हाँ, मैं लिखता हूँ-
और लिखना हीं मेरा पहला प्यार है,
निभाता हूँ वफ़ाई मैं,
इन कोरे कागज और नीली स्याही के दर्द से-
जिसे कोई नहीं समझता-
मैं करता हूँ जुगलबंदी इनके सपनो की,
अपने लेखनी से-
मैं सोचता हूँ,
मुझमें चेतना है,
मैं समझता हूँ, घटनाओं को-
जो दिन प्रतिदिन घट रही है-
क्यूंकि मैं लिखता हूँ!!

---------to be continued

-


Fetching Priyam Shrivastava Quotes