रणभूमि में जब मृत्यु का, वीरता से आहवान हो,
प्रचण्ड हो कठिनाइयाँ, प्रचण्ड ही अभिमान हो,
संघर्ष घड़ी ऋजुरेख सी, चाहे काल सर पे सवार हो,
प्रचण्ड हो कठिनाइयाँ, प्रचण्ड ही अभिमान हो!
परवाह न हो मृत्यु की, चाहे वज्र सा प्रहार हो,
हर शत्रु की ललकार पर, सिर्फ शौर्यता का संचार हो,
रणबांकुरों की भूमि बनी, इसे गर्व है, अभिमान है,
हर काल की गाथा में यहाँ, संघर्ष है, बलिदान है,
सशस्त्र हो, निशस्त्र हो, संकल्प कभी त्यजता नहीं,
प्रकोप से कोपित हुआ, इन्हें काल भी चुनता नहीं,
मृत पड़े जहाँ शत्रु की भी, शौर्यता का सम्मान हो,
प्रचण्ड हो कठिनाइयाँ, प्रचण्ड ही अभिमान हो!
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