कि मुर्शीद...
गम इस बात का नहीं की...
उसने गलतियाँ की...
गम इस बात का है कि..
उसे इस बात का..
एहसास तक नहीं...-
वक़्त को वक़्त के हिसाब से चलने दो..!
बेवक्त चला तो..!
वक़्त ही बदल जाएगा..! 🙃🖤-
वो शख्स अब तक रोया नहीं था...!
की...
वो शख्स अब तक रोया नहीं था..!
वफा-ए-मोहब्बत के जुर्म मे...
वो उस बेवफा के इंतजार मे...
अब तक सोया नहीं था..! 🙃🖤-
ग़म इस बात का नहीं की तुम दगा दे गए...
ग़म इस बात का है कि तुम सब जानते हुए भी...
मुझे एक और मरने की वजह दे गए..!-
कैसा नामुक्कमल इश्क है यह..!
की वो परिंदा है जो तेरे लिए रुक नहीं सकता...!
और तू उसके लिए खुले आसमान मे..
उड़ भी नहीं सकता..!-
चाहत होती अगर उसे प्यार की...
तो बखुदा उसपे जान वार देते...!
पर मुरशिद...!
वो तो कीमत ही...
जिस्म की लगाने आए थे..!-
मेरे रूठने पर अब वो मुझे मनाने नहीं आता..!
नहीं... वो कोई शख्स नहीं...
वो मेरा खुदा है...
जो ईन दिनों...
मेरा खुश रहना...
बर्दाश्त नहीं कर पाता..! 🖤🙃-
बहुत कोशिशे की उसने मुझे मनाने की...!
पर इस बार दिल रूठा नहीं था..!
टूट गया था...! 🖤🙃-
ना चाहते हुए निकले थे जिन राहो मे...
आज उनकी मंजिल पाली है..!
देखो ज़रा किस्मत के खेल....
जो जीत सोची ना थी...
आज वो भी पालि है..! 🖤-