जिंदगी भर तेरा साथ पाने की,
हर वो दुआ नकार रहा था।
आख़िर मेरा खुदा ,
तेरा हर कारनामा निहार रहा था।।
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काश! मैं ऐसा हो जाऊं,
कि तुम मुझे दिन रात याद करो ।
और मैं तेरा पहचान भूल जाऊं ।।
तुम अपनी वजूद याद दिलाओ।
और मैं तेरा नाम तक भूल जाऊं ।।
तुम हर वो प्यारे लम्हें याद कराओ।
और मैं हर लम्हें में तुझे भूल जाऊं ।।
तुम सारी दुनिया मेरे कदमों में लाओ।
और मैं हर कोने में तुझे भूल जाऊं ।।
तुम अपनी खता का लाख माफ़ी माँगों ।
और मैं माफ़ करके तुझे ही भूल जाऊं ।।-
सोचा ! माँ तुम्हें एक दफा,
लिख कर देखूं,
इस संसार में,
पर कलम ने कहा _
औकात नहीं मेरी,
ना दम है मेरे ink में,
माँ का वर्णन मैं कैसे कर सकूं,
जिसके तुल्य न हो कोई इस जगत में ,,
Happy mother's day 💖🙏-
घर में एक सज्जन पुरुष।
कह दूं उन्हें कर्मठ ,
या कहूं सहज शीतल मन ।।
वो है एक व्यक्तित्व ऐसा ।
चित शांत व चंचल जैसा ।।
वो प्रेम के मूर्ति प्यार बांटते,
लोगों का सम्मान है पाते ।
कलाकार वो अपने जगत के,
हर किरदार को बखूबी निभाते ।।
जिनका पत्रकारिता में है,
एक अहम् योगदान ।
वो हैं अतुल जी ,
जिन्हें मेरा कोटि कोटि प्रणाम ।।-
मेरी जिंदगी की कहानी भी,
बड़ी हसीन होती,
गर अतीत का कुछ पन्ना,
तेरे नाम से रंगीन ना होती ।।-
ए दिल ! उस शख़्स को,
इतना क्या याद करना,
जिनके ख्यालों में भी,
तुम हो ही नहीं ।।
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घूम आया कई शहर ,
पर तुम जैसे बदले वैसे,
कहीं मौसम भी बदलते ना देखा।।
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अब क्या गिले सिकवे करूं,
ए मेरे भगवन्!
तुने तो मेरे हक़ की,
दुआ भी नकार दी है।।
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हे भगवान !
इतनी भी कमी क्या देना था मुझमें,
कि लोग easily छोड़ जाते है ।।
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रिश्ते टूटने में तो,
गम बराबर का होता है,
सिर्फ़ फर्क इतना सा है,
कि कोई कहता है,
तो कोई सहता है।।
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