priyaanka mishra   ("स्मृतिशेष")
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Joined 10 February 2018


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12 FEB AT 20:28

तुम्हें दिए तो जा सकते थे बेहिसाब तोहफ़े
फ़क़त  मुझे वफ़ा का ही ख़याल आया!

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12 JAN AT 21:38

दिल को अच्छी लगने वाली चीज़ें अक्सर
मन से हार जाती हैं!

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22 NOV 2023 AT 23:16

यारों में बड़े हुए, यार कहते थे दोस्त
ऐब कमाई का भी होगा? कोई बताता क्यूँ नहीं!

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16 NOV 2023 AT 14:58

कभी कभी व्यक्ति बहुत बुरा बोल जाता है
और सामने वाले से यह अपेक्षा रखता है की वह उसे वैसा न ग्रहण करें, जैसा उसने कहा... उसका मतलब ये नहीं था!

किसी पशु को चाहे आप डंडे से मारे चाहे पत्थर से या किसी अन्य वस्तु से
इसमें 'किस से' आवश्यक यह बात है कि
आपका उद्देश्य उसे 'आहत' करने का ही था!

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20 OCT 2023 AT 1:22

'परिपक्वता'
ठोकरों का "शीर्ष" हैं!

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9 OCT 2023 AT 0:06

अंतर्मन
ज्वारभाटाओं के उद्वेग पर,
निर्भर करती है...
देह की
अधिकाधिक क्रीड़ा...
मात्र संलग्नता ही
व्यर्थ है
जैसे.... भोजन, बिना भूख!
'रति' कला है...
शून्य से शतक,
कोमल से कटार,
मरू में बौछार की,
और
दुगुने प्रहार की!

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8 AUG 2023 AT 21:14

लिखना साँसे हैं,
शब्द 'मरहम'...
भाव मन का 'मौन'
और
कलम
अप्राप्त गंतव्य!

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8 AUG 2023 AT 20:54

....

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3 MAR 2023 AT 21:08

....

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20 FEB 2023 AT 19:40

मैं पतझड़ से मिल के आया हूँ,
अबके शायद बहार हो जाऊँ...!

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