जाकी रही भावना जैसी
प्रभु मूरत देखी तिन तैसी
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सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात्।
स भूमिं विश्वतो वृत्वात्यतिष्ठद्दशांगुलमं॥
पुरुष एवेदम् यत् भूतम् यच्च भव्यम्।
उतामृतत्वस्येशानो यदह्नेना तिरोहति॥
पुरुष दिवस की हार्दिक व अनंत शुभकामनाएं🙏-
जिंदगी की किताब का कसूर बस इतना ही है
कि हर दिन एक नया पन्ना खुलता ही जाएगा
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वक्त को जब कभी वक्त होगा
शून्य भी उस दिन खास होगा
फैसले सारे मेरे पक्ष में होंगे
जिस भी दिन इंसाफ होगा-
हैं कुछ आसमानी परिंदे
जिनके किस्से नायाब हो ही गए
बहुत मशक्कत की है आजाद होने में
आखिर कामयाब हो ही गए-
मातृभाषा "हिंदी"
वजूद मेरा (हिंदी) धीरे-धीरे
ढहता जा रहा है
प्रतिस्पर्धा का दौर है
ये कहता जा रहा है
अभिलाषा थी लोगों की
आवाज बन सुनाई दूं
हर शब्द में लिख जाऊं
हर पन्ने पे दिखाई दूं
अभी-अभी मुझे जगह मिली
मेरा विस्तार होना बाकी था
कुछ हिस्से ही हुए थे मेरे
संपूर्ण विचार होना बाकी था
फिर आया मेरी जगह पर
कोई विदेशी सा शब्द
नवाचार से परिपूर्ण
कोई अंग्रेजी सा शब्द
संदेह नहीं मुझे इसकी
सहर्ष स्वीकार्यता पर
मेरे अस्तित्व को मिटाने वाले
शब्दों की उपकारिता पर
मेरी प्रखरता पर चोट कर
यादगार दिनों में मेरा अभार जता रहे हैैं
कुछ राष्ट्रवादी है यहां
जो मातृभाषा की छवि बदलकर
केवल औपचारिकता के लिए
मेरा दिवस मना रहे हैैं
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