प्रिया शब्द पंखुड़ी 🌺   (Priya Saini✍️)
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Joined 17 August 2019


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Joined 17 August 2019

हर पल खुद को मजबूत दिखाना पड़ता है।
हर दुख बिना सिकन के सहना पड़ता है।
रोना भी इनके लिए गुनाह हो जाता है।
बिना आंखें नम किये हर पीड़ा से जीतना पड़ता है।
यह लड़के हैं जनाब...
थोड़ा बड़े होते ही इन्हें ‌ताना पड़ता है।
कभी घर से बाहर तो कभी घर में रहने तक पर भी सुनना पड़ता है।
सच्चे प्यार में भी टूट कर पछताना पड़ता है।
कभी खुद से,‌ कभी परिवार से, कभी दुनिया से, तो कभी किस्मत से लड़ना पड़ता है।
कई बार बिना गलती के भी सर झुकाना पड़ता है।
ये लड़के हैं जनाब...
इन्हें भी बहुत बातों के लिए ताना पड़ता है।
खुद की ख्वाहिशों को मार कर दूसरों की इच्छा पर जीना पड़ता है।
खुद की आजादी छोड़कर मजबूरियों की गुलामी में बंधना पड़ता है।
ये लड़के हैं जनाब...
इनके सीने में भी दिल धड़कता है।
पर अफसोस कि लोग समझते हैं।
इनके दिल में पत्थर बसता है।

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मेरी कोरे से पन्नों वाली वो डायरी बन जाओ प्रिये..
जिसे मैं अपने जज्बातों की स्याही से सजा सकूं।
तू मिले ना मिले परवाह नही..
इतनी अहमियत दे दे बस..
हर रोज़ तेरी यादों में आ सकू।

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I want to express my gratitude to all my teachers and people who helped
me in my life.

- Priya Saini✍️




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Practice is the best way to learn.
And learning is the best way to success.

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अक्सर....
अच्छे लोगों की तलाश में निकल पड़ते हैं लोग..
खुद के दिल में जहर लिए।
एक बार खुद अच्छे बन जाओ।
शायद आपके साथ दूसरों की भी तलाश पूरी हो जाए।

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मेरे वीर भगत सिह ने..
यूं ही नहीं लुटाई जवानी।
भारत माता के सच्चे सपूत..
हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ गए।
ना कभी हार थी मानी।
ऐसे वीर जवानों की रहेगी सदा अमर कहानी।

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Yes...
I am beautiful from my uniqueness.
Yes...
I am rich from my in happiness.
Yes...
I am strong from my thinking.
Yes...
I am adorable from my behavior.
Yes...
I am pure from my character.
Yes...
I am mature from my silence.
Yes...
I am unique from my nature.

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खुद किसी से ना रूठ कर सबको
हंसाने वाली लड़की हूं मैं..
किसी से मतलब ना रख कर
वक्त पर काम आने वाली लड़की हूं मैं..
पता नहीं ये कैसा अंदाज है मेरा..
पर कुछ अच्छाइयां और बहुत बुराइयां हैं मुझमें
इन सबको ख़ुद ही संवार कर ख़ुद को समझने वाली लड़की हूं मैं..
खुद में उलझकर खुद ही खुद को सुलझाने वाली लड़की हूं मैं..
खुद मै‌ मशगूल रहकर..
दिलों में मशहूर होकर राज करने वाली लड़की हूं मैं..
ना कभी किसी से खफा होना आया मुझे..
बस हर ग़म को मुस्कराहट से पीने वालीं लड़की हूं मैं..
किसी की आरजू नहीं मुझे..
खुद की दिवानी हूं।
खुद मे मशगूल मस्त मस्तानी हूं।

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Guysss......
Be creative.
Because you can learn and copy limited.
But you can make unlimited.
So focus on increasing your own creative knowledge.

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प्रश्नचिन्ह?

ऐसे ज्ञान का क्या फायदा..
जो अज्ञानता की ओर ले चले।
ऐसे लोग क्या रक्षा करेंगे।
जिनकी वजह से पल-पल जगह-जगह यह देश जले।
जो देश के लोगों देश की संपत्ति को अपना ना समझे।
वह देश को क्या अपना समझेंगे।
क्या मकसद..
वतन को बचाना या सिर्फ वेतन पाना।
जो रक्षा के जिम्मेदार थे।
वही गद्दार बन बैठे हैं।
सुरक्षा करने बाले भी व्यापारी बन बैठे हैं।
देश को आगे बढ़ाने वाले..
हानि पहुंचा कर क्यों वर्षों पीछे कर बैठे हैं।
निस्वार्थ सेवा में क्यों स्वार्थ छुपा कर बैठे हैं।

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