कुछ एक सी मिलती है
मेरी और दरिया की कहानी,
ऊपर से लगते है शांत,
अंदर न नापने वाली गहराई,
दफन है कई अनकहे
राज दोनो मे गहरे,
दरिया में आए उफान की तरह
मेरे अंदर का उफान भी
ले डूबता है मुझको भी,
तबाह कर जाता है मेरे साथ
मेरे अपनो को भी,
सुंदरता देख दरिया की,
गोते लगाने को खींचती है
उसकी खुबसूरती,
हुआ था प्यार मुझसे भी उसको,
आकर्षण का नाम देके छोड़ गया था
वो मुझको,
मौसम की फितरत कैसी भी हो
झेल लेती हू मैं भी दरिया की तरह,
नहीं कोई रख सकता मुझे समेट कर ,
मैं दरिया की तरह हू हर दिशा
फेला मेरा पानी..
मुझसे मिल के ढल जाता था
वो भी मेरे रंग में,
जैसे खारा हो जाता है
दरिया में मिलकर
नदियों का पानी,
कुछ एक सी मिलती हैं
मेरी और दारिया की कहानी..!
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