Priya Thakur   (प्रिया ठाकुर)
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Joined 9 March 2020


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16 APR 2022 AT 23:48

अपने कभी अपना नहीं समझते
और जिन्हें अपना समझ लो वो भी
सबको पराया ही रहने दो वही ठीक है ...

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23 NOV 2021 AT 22:53

मैं उसी का जिम्मेदार हूँ, जो मैंने कहा है।
उसका नहीं जो तुमने समझा है...

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18 NOV 2021 AT 17:42

किसी की याद में रोना क्या होता है कोई पूछे तो मुझसे
किसी के लिए जीना क्या होता है कोई पूछे तो मुझसे
किसी को दिल निकाल कर देना और उसका दिल तोड़ जाना क्या होता है कोई पूछे तो मुझसे
किसी के साथ जीने की ख्वाहिश लिये किसी की याद में मरना क्या होता है कोई पूछे तो मुझसे
हमारा किसी का होना और उसका ही हमारे पास ना होना क्या होता है कोई पूछे तो मुझसे
जीने के न जाने कितने बहाने देना और फिर चुपके से मार देना क्या होता है कोई पूछे तो मुझसे
किसी के ख्वाब सजाते- सजाते उसका ख्वाब बनना क्या होता है कोई पूछे तो मुझसे
जिसकी तुम्हे सबसे ज्यादा जरूरत हो उसे तुम्हारी जरूरत ना होना क्या होता है कोई पूछे तो मुझसे
दिल लगाना और फिर दिल तोड़ना क्या होता कोई पूछे तो जाकर उनसे...
सारे सवालों की हकदार मैं नहीं हूं
सारे दर्द की हकदार मैं नहीं हूं
दर्द बांटा क्यूँ नहीं कोई पूछे तो जाकर उनसे
किसी की याद में रोना क्या होता है कोई पूछे तो मुझसे

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3 AUG 2021 AT 23:24

आसान होता है अंजान बन जाना ,
कठिन तो हमसफ़र बने रहना होता है!

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30 JUL 2021 AT 23:37

बातें भी बदलती हैं
और बातों के मायने भी
मन अपना हो तो हर बात सही
कहे जब कोई और तो
वही बात गलत हो जाती है।

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23 MAY 2021 AT 0:44

मैं तुम्हे समझना चाहती हूं क्या तुम मुझे मौका दोगे तुम्हे समझने का ?
मैं समझना चाहती हूं उन अहसासों को जो तुम्हारे आस- पास होने पर आते हैं मेरे मन मे,
मैं समझना चाहती हूं एक छोटी सी बिना मतलब की मासूमियत भरी दुनिया को,
मैं समझना चाहती हूं बेझिझक कैसे हर बात बोल देती हूं तुमसे,
मैं समझना चाहती हूं कि कैसे तुम्हारी खुशबू आती है मुझे मुझसे,
मैं समझना चाहती हूं कि मेरा सारा बचपना तुम्हारे ही आस-पास क्यूं बाहर आ जाता है,
मैं समझना चाहती हूं कि कैसे तुम मेरी दुनिया भर की बातों को खुशी-खुशी सुनते जाते हो,
मैं तुम्हे समझना चाहती हूं क्या तुम मुझे (प्यार) को समझने का मौका दोगे ?

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4 MAY 2021 AT 1:05

अंधेरा डर नहीं सुकून है...
जब कभी थक कर भी नींद न आये तो बैठ जाता है
हर कोई छत पर आसमान ताकने
तारे गिनने और ढूंढ लेता है
हर कोई हर जवाब अपना,
पर कभी सोचा है क्या कि रोशनी को
इस तरह से देख सकते हो
क्या कभी सूरज को घण्टों देख सकते हो
नहीं देख सकते...

आसमान को महसूस करने के लिए भी अंधेरा चाहिए...

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4 MAY 2021 AT 0:34

ढूंढने और पाने से कब मिला है कोई...
निभाकर देखो जरा निभाने से मिला है हर कोई...

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22 APR 2021 AT 0:31

कितना आसान होता है किसी का यूँही हो जाना ।
नहीं आसान होता है कि जिंदगी भर हो ये अफसाना ।।

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21 APR 2021 AT 1:27

चांद अकेला आज रात के
साये से कुछ कहता तो है,
चलो आज इसकी बातों को ही सुन लिया जाए ।
जिंदगी का भी भरोशा क्या है।
इस पल में ही हर पल जी लिया जाए ।

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