Priya Roy  
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Zindagi tu bhi badal dheere dheere...
(मेरी कुछ चुनिंदा कविताएँ नीचे दिये गए लिंक पर पढ़े)
Joined 11 March 2019


Zindagi tu bhi badal dheere dheere...
(मेरी कुछ चुनिंदा कविताएँ नीचे दिये गए लिंक पर पढ़े)
Joined 11 March 2019
10 FEB 2022 AT 22:11

तुम्हारे बहाने......
अपनी तस्वीर देख लिया करती थी
जब से तुम गए.......
खुद को देखे एक अरसा हो गया। — % &

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29 JAN 2022 AT 0:04

जब हम पहली बार मिले थे......

तुम्हारा मुझे पीछे से टोकना
और अचानक मेरा मुड़ना और
हमदोनों का संग में हँस पड़ना।
याद है तुम्हें?
तुम! मेरे लिए कोई गुलाब नहीं लाये थे
लाये थे कविता की एक किताब।
वो हमारी पहली मुलाकात थी।
आख़िरी का मैंने कभी इंतज़ार नहीं किया। — % &

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28 JAN 2022 AT 23:49

तुमने कभी की है चाँद से बातें!

मैं अक्सर करती हूँ ये सोच कि...

तुम भी कर रहे होगे।

(शायद हमारी गुफ़्तगू चाँद एक-दूजे से बता दे) — % &

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28 JAN 2022 AT 23:40

तुम्हें लिख-लिख मैं अमर करती हूँ....

कवियों के प्रेमी कभी नहीं मरते!

वो अमर हो जाते हैं।
— % &

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28 JAN 2022 AT 23:35

सुनो!
:
स्वतंत्र और स्वछंद में भेद है...
:
तुम
:
स्वतंत्र होना पर स्वछंद नहीं। — % &

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28 JAN 2022 AT 23:27

वो फूहड़ सावन- सा मुझ पर झड़ता है.....
मैं लता हूँ...उसमें जोंक-सी सिमट जाती हूँ। — % &

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28 JAN 2022 AT 23:19

अभाव में देखा मैंने!
:
:
:
पेट का बड़ा होना। — % &

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28 JAN 2022 AT 23:15

निर्णय जो भी लेना.....( स्वतंत्र हो)
बाद में तुम्हें पछतावा नहीं होना चाहिए। — % &

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28 JAN 2022 AT 22:58

मैंने सुना था रिश्ता बना रहे.....
इसके लिए बातचीत ज़रूरी है।

जो अनुभव किया अलग रहा.....

दूरी से रिश्ते में मिठास बनी रही।
बातचीत कम की, मोहब्बत थोड़ी ज्यादा।

— % &

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22 JAN 2022 AT 23:18

कभी हम पुनः मिले.....
तो ये मुलाकात भी-
स्मरणीय होनी चाहिए।

क्योंकि......

विस्मृति तो सपनों की होती है।
किन्तु स्मृति- यादों की
सदा बनी रहती है।

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