परिभाषा से परे है मां
नज़रों से दूर होने पे
आंखे तुझे ही टटोलती है
सुबह की डांट में भी
अपना प्यार जताती है
खुद बीमार होने पर भी
मेरे लिए खाना बनाती है
कुछ इस तरह वो ठीक
होने का बहाना बताती है
हर मुश्किल, हर तन्हाई में
मेरा हांथ थामती है...........
अगर आंसू दिखे तो अपने
आंचल से पोछ लेती है
जरा सी छींक आने पर भी
मेरी वो नजर भी उतरती है
मेरी खुशी के लिए
खुदा से भी लड़ जाती है......
मेरी हकलाती जुबां को शब्द देती है
मां हर गिरते शब्दों को पिरो लेती है
कैसे बयां करू मैं मां की ममता
जो संसार में सबसे अनमोल है
जो खुद से ज्यादा मुझको
प्यार करती है......................
वो मेरी मां है जो मुझे
इतना प्यार करती है..................।।
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