बंद कमरे के किसी कोने में
डर सा लगता है, अकेले सोने में
जब जब खुद को अकेली पाई
रोते रोते बिस्तर पर, ना जाने नींद कब आई
धड़कने तेज और मन बेचैन सा हो जाता है
जब जब तेरा झूठा चेहरा, सामने नजर आता है
तेरी धुंधली यादों के साथ
जब मेरी हाथे कपकपाती है
सीने मे दर्द लिए
सासों की रफ्तार बढ़ जाती है
बंद कमरे के किसी कोने मे
अब डर सा लगता है अकेले सोने में-
तू शामिल है, अभी भी मेरे जहन में
पर तेरी जिक्र नहीं
कि नहीं फर्क पड़ता तू जैसी भी हो
पहले जैसी तेरी फिक्र ही नहीं
कि तेरी हर झूठ को मैं सच मान बैठती थी
गुजर गया जमाना, वैसी अब उम्र नहीं
Ojha ✍️
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कहना तो बहुत कुछ है
कहो तो सुनाऊं क्या
ये जो हर बार झूठ लिए आते हो ,
कहो तो मैं सच बताऊं क्या
ये जो मासूम सा चेहरा लिए घूमते हो
कहो तो इसके पीछे छिपी हुई चालाकी दिखाऊं क्या
ये जो झूठी कहानी बनाकर अचानक दूर हो गए
कहो तो मैं भी तुमको तुम्हारी तरह आजमाऊ क्या
कहना बहुत कुछ है
कहो तो सुनाऊं क्या
Ojha ✍️-
सन्नाटे भरी आवाज
सहम सी गई है
बेवजह तो नही, शायद चुप रहने की आदत सी हो गई है— % &-
Kn kahta hai rat gi bat gi
Yha to rat hote hi sari baten stane lgti hai
Ojha
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Kn kahta hai rat gi bat gi
Yha to rat hote hi sari baten stane lgti hai
Ojha
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Sawalon se lipti hui thi
Jbabon ki tlash mein
Mila kuchh bhi nhi
Preshan kyu hai, tu uski aas mein
Jane wale ko kn rok skta hai bhla,
Smjho, kbhi tha hi nhi tumhare pass mein
Ojha🖌️
— % &-
जाने कैसी ये बेचैनी है
बाहर खामोश रहना पसंद है पर, अंदर शोर बहुत है
किससे कहूं हाल-ए-दिल अपना
समझने वाला कोई नहीं पर, समझाने वाले बहुत हैं
priya ojha🖌️— % &-
ऐसे ख्वाब बुनती हूँ
जहाँ झूठ की कोई गुंजाइश न हो
ऐसा यार ढूँढती हूँ
priya_🖋️-