❤Priya N. Shukla ♥️   ('अनोखी'✍)
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Joined 26 February 2020


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Joined 26 February 2020

आँखें अक्सर भर जाती हैं,
भूली बिसरी यादों से ।

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25 MAR 2022 AT 14:46

बगल के मकान में नया किराएदार आया है ,
सुना है !
मेरा बिछड़ा हुआ कोई यार आया है ।

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24 MAR 2022 AT 14:08

तुम महंगे होटल वाली काॅफी की शौकीन प्रिये,
मैं टपरी वाले कुल्हड़ की चाय का दीवाना हूँ ।

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19 MAR 2022 AT 19:28

प्रेम में यदि शिव बनों तुम ?
मैं शक्ती बनने को तत्पर हूँ ।

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7 MAR 2022 AT 8:07

वो आदी है वो अंत भी ,
वो निराकार भगवंत भी ।
कर्ता है वह कारक भी ,
निर्णय वह निर्णायक भी ।

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13 NOV 2021 AT 22:19

सदियों से मुहब्बत का सिर्फ यही रिवाज़ होता है ,
नसीब में जो नहीं ,उन्हीं के लिए एहसास होता है ।

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17 SEP 2021 AT 21:27

हम तुमसे फिर मिलेंगे ,
कहाँ,कैसे पता नहीं ।।

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14 SEP 2021 AT 9:42

हमारी मुहब्बत चाय बिस्कुट सी थी ,
जितना तुम्हारे अंदर डूबे टूटते गए ।

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15 APR 2021 AT 15:20

दिल में तुम्हारे मैं आता रहूँगा ,
कभी आँसु बन कर ,
कभी मुस्कान बन कर ,
निगाहों को तेरी सताता रहूँगा ।

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12 APR 2021 AT 15:05

रेत की तरह ज़िन्दगी हाँथों से फिसल रही है ,
कतरा कतरा करके ये उम्र भी निकल रही है ।
आ रहा है अपने बेजान बुढ़ापे का अँधेरा ,
यूँ रह रह कर जवानी की सुबह पिघल रही है ।

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