एक उम्र गुजरी है अभी, एक गुजर जाएगी।
देखते हैं ये ज़िंदगी की गाड़ी किधर जाएगी।।
समेटकर रख ली ख़्वाहिशों की पंखुड़ियाँ मैंने।
पता है आँधी आएगी और फ़िर बिखर जाएगी।।
कोई बताए रफ़ू कैसे करूँ, बेरंग फटेहाल दिल को।
अपनों की महफ़िल ने कहा परत फ़िर उधड़ जाएगी।।
औरों में बाँटा है मरहम, अपने हिस्से की चोट का।
फ़िर टूटेगी उम्मीद, और चोट दर्द से सिहर जाएगी।।
उगता सूरज वादा करता है, मन को करेगा रौशन।
लेकिन शाम आएगी, और रौशनी भी मुकर जाएगी।।
किसी की बद्दूआ में भी असर बेहिसाब था जनाब।
कहा गया दुनिया तेरी उजड़ेगी, मेरी निखर जाएगी।।-
टूटी चप्पल टूटी खाट, ऊपर से सौ-सौ ताने हैं।
आँसू के घूँटों को पीकर, पलते यहाँ सयाने हैं।।
तन पे है मटमैला चादर, धुँधलापन है आँखों में।
एक दवा पे खर्च न जितना, उतने यहाँ बहाने हैं।।
भरपेट न भोजन मिलता, न नेह की छाया मिल पाई।
कँपते बूढ़े पैरों को अब,मिलते कहाँ ठिकाने हैं।।
न दो पल बैठा पास कोई, न प्रेम से गले लगाया है।
इंस्टा व्हाट्सप्प फेसबुक में, पैर छूके फोटो चिपकाने हैं।।
कितने खाते बैंक में, फिक्स पॉलिसी सब पूछ लिया।
खोद लिया घर का हर कोना, बस माया के दीवाने हैं।।
जिसने पाला खून से अपने, दिन-रात पसीना बहाया है।
भूले उनका त्याग समर्पण, मीठी बातों के ताने-बाने हैं।।-
सुनो! तुम मुझे उस वक़्त गले लगाना जब.....
जब मैं कहूँ की, ये हमारी आखिरी मुलाक़ात है,
तुम समझना मेरी भावनाओं को, मन के उबाल को,
और कहना, तुम मुझे गले लगाना चाहते हो,
स्वयं के हृदय से कभी न आज़ाद करने के लिए,
नूर से लेकर, बुढ़ापे की झुर्रियों तक साथ निभाने के लिए,
उस वक्त गले लगाना, प्रेम की परिभाषा समझाने के लिए।।
(सम्पूर्ण रचना अनुशीर्षक में)
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अल्हड़ चंचल मस्तमलंग वो, इस दुनिया से बेगानी है,
अनसुलझी एक पहेली जैसी , अनकही कोई कहानी है।।
आनन से अप्सरा झलकती, तन से खिलती कंज समान,
मस्ताना अंदाज़ घायल कर देता, मदहोश करती जिसकी जवानी है।।
रोती छुपकर, हँसती खुलकर, गैरों के ग़म भी अपनाती है,
लड़ती गिरती फ़िर उठकर चलती, उम्र मे छोटी मगर सयानी है।।
नीर सी निर्मल, शिला सी ठोस, अविरल बहती पवन के संग,
वो शक्ति स्वरुपा, रूप ममत्व का, अन्याय में प्रलय निशानी है।
लब जैसे पंखुड़ियों से कोमल, मन जैसे नन्हा बालक है,
ठहराव गहन है प्रेम में जिसके, त्याग में उस जैसा न कोई सानी है।।
छल कपट से परे समाहित, प्रेम का गहरा सागर है उसमें,
आँखों में मासूमियत का अक्स उकेरे, बातों में उसके नादानी है।।
अल्हड़ चंचल मस्तमलंग वो, इस दुनिया से बेगानी है,
अनसुलझी एक पहेली जैसी , अनकही कोई कहानी है।।-
साँवली सी सूरत पर वारी जाऊँ मैं कान्हा
इस मधुर मुस्कान पर, प्रेम लुटाऊँ मैं कान्हा।।
छोड़ी है हर आस मैंने, स्मरण मात्र तेरा है
सब सुख-दुःख तुझको ही सुनाऊँ मैं कान्हा।।
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तेरे चरणों की धूल,मस्तक का तिलक बन सोहे
तेरी छवि को पूजकर ह्रदय मे बसाऊँ मैं कान्हा।।
बांसुरी की धुन पर मन मयूरा बन नृत्य करता है
तुझमे मगन संसार से विलग हो जाऊँ मैं कान्हा।।
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यशोदा के नन्दलाल, राधिका के प्राण प्रिये तुम
गोपिका बन कर ही तुझको सताऊँ मैं कान्हा।।
न भाये मन को अब, बोली में अनदेखी मिलावट
माखन मिश्री सी तेरी बातो से दिल बहलाऊँ मैं कान्हा।।
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नारी :अस्तित्व की खोज
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बाबुल की प्यारी गुड़िया रानी,माँ की दुलारी थी
खिलखिलाती किसी कली सी,भोली प्यारी थी।
बचपन बीता राजकुमारी सा,थोड़ी बड़ी हुई अब
संजोने लगी सपने,आसमान की उड़ान भरेगी कब।
कुछ कक्षाएँ ही पास की,समाज को सताने लगीं चिंताएँ
छोरी बड़ी हो गई,देखना कहीं हाथ से न फिसलने पाए।
पीले हुए हाथ बाली उमर में,समझ नहीं चूल्हे चौके की
ताने पड़े दिन रात उसे,अरे समझ नहीं कानून कायदे की।
कचोटती ख़ुद को हरपल,क्यों नहीं उठाई आवाज मैंने
क्यों बनाई नहीं पहचान,क्यों भरी नहीं परवाज़ मैंने।
बीतते पल,बाहर सबको झूठी मुस्कुराहट बिखेरते हुए।
झूठे रंगों में रंगी ज़िंदगी, टीस देती ज़ख्म कुरेदते हुए।
कीमती आँसू बहते किसी नदी की भाँति,अंतर्मन में शोर
कोई समझे न पीड़ा,चहुँओर अँधकार दिखे घनघोर।
हर फ़र्ज़ निभाती है,सीख जाती है अब काम काज सारे
तरस जाती कोई दिल का हाल पूँछे,निहारे चाँद तारे।
(शेष अनुशीर्षक में)-
चाहे वर्षों हो दूरी, दिलों से नजदीकियाँ बरकरार रहती है,
चुरा लेते हैं नमी आँखों की मुस्कुराहट सदाबहार रहती है।
वीरानियाँ कितनी भी कोशिश करें दिल में घर बनाने की,
यारों की सरफिरी बातों से, ये ज़िंदगी गुलज़ार रहती है।-
व्यवहार में ,धैर्य,साहस,उत्साह की पराकाष्ठा नज़र आती है
रंगों से सजी कलम , ज़िंदगी की वास्तविकता लिख जाती है।
नित क्षण उमंग रहे जीवन में, ख़ुशियों से महकता रहे घर आँगन,
साल दर साल तरक्की की राह,दुआओं से रौशन नज़र आती रहे।-
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हिंदी हो या अंग्रेजी, शब्दों का रखतीं हैं खजाना।
कभी उर्दू के अज़ीज लफ्जों से, बुनती ताना बाना।
क़दम बढ़े हैं ख़्वाहिशों की ओर, मिले ऊँची उड़ान
मेहनत के रंगों से सज जाए, ज़िंदगी का हर नज़राना।
माँ वीणावादिनी की कृपा बनी रहे, खुशियाँ मिले अपार
दिल से जुड़ा एक रिश्ता आपसे, जैसे हो वर्षों पुराना।
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