संवर जाता क्षय अपना
अक्षय तृतीया जब आता
हर प्राणी वाणी को पाता
माता गौरी संग जब जोड़ता नाता
विष्णु विधाता विषय सजाते
गाते मानस प्राणी ध्याते
प्राण है उर्जा विनय सफलता
बन सेवक प्राणी है जगता
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हूँ रंगी रंग मे आज भी कान्हा
लिए रंग दिख रही साथ खड़ी मैं
देखो न रंग मेरा मन मेरा देख लो
मन के तुम मीत हो जगत जगदीश हो
बांसुरी की धुन से तुम बांटते प्रीत हो
होली भी रीत है देती संगीत है
राधा है कृष्णा - कृष्णा ही राधा
आओ मिल गाए राधा श्री राधा
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मंगल करने जब संगम आए
संत सनातन सखा को पाए
बन साधक भजमन को गाएं
हर भक्त का अनुभव अलग ही पाएं-
किया सफर जब हमनें आज
वंदे भारत में दिखीं यह बात
पथ दर्पण बन दर्शन देते ....
प्रगति देश की देखते कहते
पल पल में अब बदलेगा भारत
सर्वोच्च सफलता का है आगम
अनुमान नहीं परिणाम का साधन
वंदे भारत से खिला है आंगन
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सफल हो गया पिछला साल
सफल से बीते अगला साल
सफर सहज से हम करे...
करो प्रतिज्ञा यह वर्ष कहें-
थी पहचान आपकी अपनी
देश किया सम्मान.....
अक्षर संरक्षक बन दिखते
मोह लिया संसार...
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हर सफर सफल हो जाता
लेते जब हम शिव का नाम
राम नाम उच्चारण करते
रहता नही विचार..
विकार विकास नही कर पाता
देते गणपति साथ..-
उम्र है कम तजुर्बा ज्यादा
करो सदा तुम मुझसे वादा
देखना जब तुम अपना खाता
तुझको दिखेगा मेरा नाता-
है प्रकाश जो तुझमें देखा
देखा खुद में वो प्रकाश
नित्य उदय होकर है देता
करता शुभ प्रभात...
अज्ञानता के बादल हटते
करता नित्य उपचार
जब प्रचार हम मिलकर करते
खुलता तब भंडार
धन दौलत के बाजार है सजते
होता तब व्यापार
लाभ हानि के फल हैं बिकतें
मिलता नहीं उधार
जिस भाव से मोल है करते
मिलता वो प्रकाश
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वक्त को भी कहने दो
सब्र को भी सहने दो
है सख्त जो भी शख्स
न रहेगा वह अब....
हर उम्मीद मे है आस
जो है सबके सदा ही पास
यही लिखा गीता में ज्ञान
रहता सदा आप में राम
करो न तुम कभी अभिमान
मान से ही हैं सम्मान
शरण चरण करता बलवान
गणपति देते हर पल साथ
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