वो टिफिन एक और दोस्त चार,
रोटी एक खाने को चार,
ना जाने किस किस की भूख मिटती थी?
यूं बस दो कौर खाने से अपनी दोस्ती बनती थी।
अब तो सब बिछड़ गए है,
सब अपनी मंजिल तरासने में लग गए हैं।
तुम सब की तो अब भी बहुत याद आती है,
वो क्लास में बिना इंटरवल के लंच करना,
सर की नज़र पड़ते ही मुंह को बंद करना।
हर टीचरो के अलग अलग नाम रखना,
और उस नाम से उनकी क्लास में हूडिंग करना।
कहा चले गए वो लम्हे??
कितने प्यारे कितने नन्हे।
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