जीवन के इस रणयुद्घ में, समस्या आयेंगी हज़ार प्रिये,
हर चक्रव्यू तुम भेदते जाना, वीर अभिमन्यु के समान प्रिये।
कभी तो मायावी दुर्योधन,अहंकार से तुमको ललकारेगा,
धूर्त शकुनि अपनी कुटिलता से, तुम्हारे आत्म सम्मान को अक्सर मारेगा ।
उस समय तुम भीष्म ना बनना, मत बनना धृतराष्ट्र प्रिये,
तुम हर चुनौती को धूल चटाना,वीर अभिमन्यु के समान प्रिये।
होगी निराशा ,जब अपनों ,को अपने ख़िलाफ़ पाओगे
टूट जाओगे तुम अनेकों बार, खुद, ख़ुद से नजरें चुराओगे।
उन कठिन क्षणों में धैर्य बनाना, मत जाना तुम हार प्रिये,
विपदाओं से डर कर कभी गलत को, मत करना, स्वीकार प्रिये।
ना मिला सूर्यपुत्र कर्ण को,ना कौन्तेय अर्जुन ने पाया था,
सर्वश्रेष्ठ योद्धा का सम्मान,सौभद्र अभिमन्यु के सर आया था।
एसे ही तो जगत मे,नहीं होती जय जयकार प्रिये,
उठोगे, गिरोगे,फिर उठोगे,यही तो है जगत का सार प्रिये ।।
Sargam-
और आज एक अर्से बाद,मेरी कलम से मुलाक़ात हुई,
लगा मानो कई रोज बीत गये,ख़ुद से मेरी बात हुईं।
सोचा कि क्या लिखूँ, हर लम्हें मे ख़ामोशी है,
क्या लिखूँ प्रियतम के बारे में, हाँ ये लाज़मी भी तो है।।
फ़िर लगा, पहले इन उलझे विचारों को सुलझाउ
क्यूं व्यथित है मन, खुद को ये भेद बताऊँ
कितना कुछ करना था,कितना कुछ छूट गया,
निरंतर चलते इन लम्हें में, वक्त ज़रा कुछ रूठ गया ।
एक किताब पढ़ूंगी फुर्सत में,कितने शौक से मैं वो कभी लाई थी,
नए पुराने गाने ढूँढ कर, मैंने अपनी प्लेलिस्ट बनाई थी।
एक धुन थी,जो सीखनी थी मुझे, सज धज, फोटो हजार खींचने थी मुझे ।
योगा करके, ख़ुद को थोड़ा और फिट बनाना था,
और कुछ नया पढके,खुद की क़ाबिलियत को और आज़माना था।
पर क्यूँ हर रोज कुछ नया किया जाए,क्यूँ न कुछ पल शिथिलता से जिया जाये,
हर दिन आता है नित नए सवेरे लेकर,
कल जो कुछ बाकि रह गया था, पूरा करने की उम्मीदें लेकर ।
उन एहसासों को पन्ने पर उकेरना, उन एहसासों में सिमट जाने का,
हाँ अब एक सुकून था दिल में, चुप रह कर भी चीख पाने का ।-
Dekh bhai✋
It's okie to hide for sometime,
To make people realise, your worth !!
/winterchills !/🥶-
Dekh bhai✋
It's okie to hide for sometime,
To make people realise, your worth !!
/winterchills !/🥶-
ना जाने कब इतने खास बन गए तुम,
ये सब एक हसीन ख्वाब सा लगता है।
मेरे हमसफर की जो तस्वीर दिल के कोने में छिपी थी कहीं,
मिल गया उसे एक चेहरा,अब ये एहसास सा लगता है।
कभी प्यार पे खास भरोसा नहीं रहा मुझे, सच कहूं तो,
पर आजकल ये पागलपन, दिनचर्या का अभिन्न भाग सा लगता है।
भूख, प्यास तो गैरजरूरी है जीने के लिए,
काफी बस इक तुम्हारा,मुझसे बात करना लगता है।
खुद को आईने में निहारना,फिर मुस्कराना,फिर शर्माना,
आजकल ये सब दिल को रास सा लगता है।
भले ही, मिली नहीं हूँ तुमसे,पर तुम तो जन्म जन्मांतर से मेरे हो,
ना जाने क्यूँ ये दिल मुझसे दूर, तुम्हारे ज्यादा पास सा लगता है?
जब मेरे सपनों के लिए मुझसे ज्यादा फिक्र तुम करते हो ना,
दिल के कोने मे तुम्हारे लिए समर्पण, अनायास सा बढ़ता है।
जब तुम तारीफ करते हो मेरी, तो लगता है मैं खूबसूरत हूँ,
ना जाने क्यूँ खुद पर मेरा, आत्मविश्वास सा बढ़ता है।
तेरी रूहानियत से, हो गया इस दिल को,
प्यार! प्यार! प्यार! सा लगता है !
अब तो ग़र तुम पास हो ,तो मसर्रत है जिंदगी,
तुम साथ नहीं, तो सब कुछ, बस सिफ़र सा लगता है।-
Pamper yourself a little more,
Girls will try to woo you,please ignore
Give ur heart only to me,its so pure
& I promise to never break it,for sure-
34 बरस की इस अवधि में,
जीवन का शाश्वत सत्य बता गये,
"शून्य, खोखला, अप्रत्याशित !!"
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Somewhere,sometime,someone
Will restore your faith in,
loving without conditions!!
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