Priya   (Pihu)
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Joined 10 April 2020


Joined 10 April 2020
26 OCT 2022 AT 19:13

हर एक शख़्स
जो गया मेरी ज़िंदगी से,
कुछ ना कुछ ले गया
मेरा मुझ ही से।

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17 OCT 2022 AT 20:15


दिल से मुस्कुराओ सखी,
आंखों से तारे बरसाओ सखी,
तुम सूरज हो आने वाले का,
ज़रा और सब्र दिखाओ सखी।
रंग से मत घबराओ सखी,
खूबसूरती किरदार में लाओ सखी,
आग लगे ज़िंदगी में या दुनिया में,
खु़द को हीरे सा चमकाओ सखी।

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14 OCT 2022 AT 4:54


बेचैन, बेख़्याली सी में खोई सोई सी मैं,
बीते वक्त का मलाल, डर है कल का मुझे।
जैसी ज़िंदगी से हमेशा कतराती रही मैं,
वक्त ने उसी ज़िंदगी में ला पटका है मुझे।
क्या कर रही हूं अपनी ज़िंदगी का मैं,
कहीं नहीं ले जा रहा है ये रास्ता मुझे।
हज़ारों कदम की थकान ढोए हुए भी मैं,
हूं वहीं की वहीं, है हासिल ही क्या मुझे।

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29 SEP 2022 AT 23:32

हर शख़्स ढूंढ़ता है
अपना अक्स आईने में,
कमियां ख़ुद में पाकर,
शीशे को बुरा बताता है,
जग जाहिर है, झूठ सरल है,
मुश्किल रस्ता है सच्चाई,
आसान राह पर इंसान मगर
ख़ुद से दूर चला जाता है।

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28 SEP 2022 AT 23:31

खुशियाँ आती हैं,
आकर चली जाती हैं,
मगर ग़म ठहर जाता है,
लौट हर पहर आता है।
बदलता है समय,
इंसान, हालात, बदलते हैं,
हाथों की लकीरों में मगर
कहां कोई बदलाव आता है।
सुबह परेशान होती है,
तो शाम आराम होता है,
सुबह मुस्कान होती है,
तो दिन विरान होता है।
असल में जुदा नहीं होते,
दिन खुशी और ग़म के,
हर पल कोई सदमा या कोई आस,
हर दम कोई ना कोई काम होता है।

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27 SEP 2022 AT 23:43


ना दौलत से, ना ख़्वाबों से,
ना ज़माने के हिसाबों से,
नींद का सौदा मत करना,
ख़ुद को दाव पर मत रखना।
ना मोहब्बत के लतीफों से,
ना ही नए दौर के तरीकों से,
सुकून की उम्मीद मत रखना,
जन्नत की राह मत तकना।

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26 SEP 2022 AT 21:14

नज़र भर देखा करूं तुमको,
नज़र उतारा करूं हर दिन,
ज़रूरत, आदत, दुलार हो तुम ,
कैसे गुज़ारा करूं तुम बिन।
हर पहर सोचा करूं तुमको,
तुम्हें याद किया करूं हर दिन,
मोहब्बत, चाहत, परिवार हो तुम,
कैसे मुस्कुराया करूं तुम बिन।
ग़ज़ल सुनाया करूं तुमको,
तुम्हें पास बिठाया करूं हर दिन,
एहसास, अल्फाज़, श्रृंगार हो तुम,
कैसे कविता करूं तुम बिन।

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26 SEP 2022 AT 20:59

एक दूजे की ताकत होना अच्छा है,
एक दूजे की ज़रूरत होना अच्छा है,
ख़ुद पर प्यार जताना भी बुरा नहीं लेकिन
औरों की भी परवाह होना अच्छा है।

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6 AUG 2022 AT 13:07

बारिश की बूंदें,
आसमां के आंसू भी हो सकते हैं,
खुशी के, ग़म के,
कैसे भी हो सकते हैं।

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27 JUL 2022 AT 11:45


ज़मीन पर यूंही नहीं उतारा गया
तुम्हारी सितारों सी दो आंखों को,
इनमें भरा गया है आश्चर्य
सजाए गए हैं पक्के इरादों के मोती,
तुम्हें पूरा हक़ है इनसे
सूरज सा तेज़ चमकने का,
इनमें अब भी जगह है
एक पूरा ब्रह्मांड समाने की।

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