हर एक शब्द में जज़्बात भरे हैं
तेरे खत में बचपन के एहसास भरे हैं
याद आ गई बचपन की शैतानियां
वो नटखट सी नादानियां
क्लास बंक कर के छिप जाना
छुट्टियों में एक दूसरे के घर जाना
वो मैगी और कोल्ड ड्रिंक से पार्टी मनाना
बेवजह ही देर तक मुस्कुराना
घंटों बातें करने पर भी
कुछ अनकहा सा रह जाना
कितना सुंदर था , बचपन सुहाना
कुछ खो गया, कुछ टूट गया
कोई रूठ गया तो कोई बिछड़ गया
अब नहीं मिलते हैं यार पुराने
कुछ बदल गए,कुछ भूल गए
गुज़र गए बचपन के वो दिन सुहाने
लेकिन ए दोस्त हमारी यारी अलग है
नज़रों से दूर है, पर दिल से करीब है
तेरे लिखे खत के हर शब्द में, हूं मैं
मेरी लिखी नज़म के हर लफ्ज़ में, है तू
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