आदमी और ज़िंदगी में
ज़िंदापन को......
ये सन्नाटों की दीवारें
धूप की मीनारें
खूब पहचानती हैं
इन आँखो के रोमांच पर
पसीने का रोमांस
अपना हक़ जताती है
आदमीयत को जानती है
..
ज़िंदगी! तुम सबमें रहना|
आदमी! तुम दिखते रहना|
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Priti yadav
(प्रीति यादव)
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Navodayan😊💗
Studied at university of Delhi (MIRANDA HOUSE)
ज़िंदगी में जो कुछ है,जो भी है
स... read more
Studied at university of Delhi (MIRANDA HOUSE)
ज़िंदगी में जो कुछ है,जो भी है
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Joined 5 August 2018
29 JAN 2023 AT 0:04
19 OCT 2021 AT 23:37
इस उम्र के सौदे में
जिस्म कितना झेलता है!
सांस-सांस खेलता है
वक़्त-वक़्त ठेलता है-
17 AUG 2021 AT 12:03
वो अजनबी भी ना रहें
अपनाइयत के अक़्स भी ना रहें
.....
लब्ज़ों और धड़कन के दरम्यां
हलक में कैद कुछ शख्स रहें-
7 FEB 2020 AT 9:50
कांटे बेसबब मुस्कुराते हैं पहलू में मेरे
वे दुश्मन ए जां जब से गुलाब हो गए हैं-
17 AUG 2019 AT 20:06
कौन बताएं?
हालात तुम्हारे।
कैसे बताएं?
जज़्बात तुम्हारे।
ये हवाएं शरीफ़ है,,,चुग़ली नही करतीं।
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3 FEB 2019 AT 16:08
खफ़ा- खफ़ा सी ज़िंदगी में
किसी को तो मनाए रखो
अँधेरा जानलेवा है
जुगनूओं को बचाए रखो
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12 MAR 2021 AT 12:56
शर्तों के उरूज पर तो
ग़मों का आशियाना है
मुस्कुराहटों का लिबास
इन रूहों का पैमाना है
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