Priti Tiwari   (प्रीti)
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कुछ विचार है जिनमें उलझी हुई हूँ ।
Joined 3 May 2021


कुछ विचार है जिनमें उलझी हुई हूँ ।
Joined 3 May 2021
19 AUG 2022 AT 7:01

मुस्काए हरि -
" दाऊ ये ढोंग रचाते हैं
तुमको मुझको भरमाते हैं
जिह्वा से बस नाम लिया
ह्रदय से मुझको त्याग दिया ।
कर्मयोगी को जन्म देख वंचित किया
पांचाली को बार बार दंडित किया
कर्ण को भी नहीं सम्मान दिया
मित्रता-प्रेम के बंधन को
कलंकित शत शत बार किया ।
आत्मा के कृष्ण को कलुषित
कर मुझे सजाते हैं ।
दाऊ ,ये मेरी ही रचनाओं से
मुझी को बहलाते हैं,
हाय ! मेरी यमुना को
भी दूषित किये जाते हैं
गीता के ज्ञान को धनंजय सा
कहाँ आत्मसात कर पाते हैं ?
यशोदानंदन ,देवकीलाल के
अद्भुत भक्त अपनी माताओं
को पर आश्रिता बनाते हैं ।
नटखट नटवर नागर नंद
मूरत को मोर मुकुट पहनाते हैं
रोते बाल को माता अंक से ले
उदरपूर्ति हेतु भिक्षा मंगवाते हैं ।
ये मेरे हर शिक्षा को भूले जाते हैं
ये अपने दायित्व से मुँह मोड़े जाते हैं ।
कैसे होगा मेरा श्रृंगार ?
मेरे मानव अपनी
आत्मा का कलुषित
कृष्ण मुझसे छिपाते हैं ।

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11 FEB 2022 AT 13:31

चुनाव लोकतंत्र का सबसे बड़ा त्योहार हैं, जिसमे कभी इंसानी लाशों का चढावा देने का तो कभी इंसानों को मानसिक रूप से पंगु बनाने का रिवाज बड़ी शिद्दत से निभाया जाता रहा हैं।

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25 DEC 2021 AT 13:28

हमारे जानने वालो में हम में से लगभग हर कोई इंसान के तौर पर एक दूसरे को बहुत प्यार करता हैं लेकिन कहीं न कहीं हम अपने धर्म को लेकर इतने ज्यादा भावनात्मक तौर पर जुड़े है कि हम कब एक दूसरे से छोटी-छोटी बातों पर खींचकर अपने मन में बैर पाल लेते हैं और पता भी नहीं चलता। एक दूसरे के त्योहारों पर हम अचानक सें जो लिबरल और मार्क्सवादी बन के जड़ें खोदने लग जाते हैं, होली पर पानी बचाने की, दिवाली पर पटाखे न जलाने की ,ईद पर मजारों की जगह लोगों को चद्दर बाँटने की, बकरीद पर अचानक से PETA का employee बन जानवर बचाने की,क्रिसमस पर पेड़ बचाने की "Go Green" होने की। असल में हम बहुत ज्यादा जुड़े हैं एक दूसरे से, हजारों या करोड़ों साल पहले हमें बनाने वाले ने बहुत smartly हम सभी को एक दूसरे से जोड़ रखा है ।
वरना एक दूसरे को पूरब पश्चिम कहने वालो के त्योहार साथ में ही क्यूं होते हैं ? ?
ईद के साथ अक्षय तृतीया,बकरीद के साथ एकादशी ,गुड फ्राइडे के आस-पास हनुमान जयंती कैसे मनाई जाती हैं ? यह देश ऐसा ही है मान जाइए एक दूसरे की presence को accept करिए और जैसे है वैसे रहिए, नस्ल मिटाने का सपना झूठा है, आप एक छोटा हिस्सा है बस !
कहानी बहुत बड़ी हैं। अपने ईश्वर की प्रार्थना करे, अपनी परंपरा रीतियों को पीढी दर पीढी आगे बढाए और किसी की भी आस्था पर सवाल मत उठाइए और दिखावे से दूर रहिए खुश रहिए ।

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15 OCT 2021 AT 12:40

राम तुम्हारी आत्मा में
सीता तुम्हारे ह्रदय-प्राण
लक्ष्मण रमते चेतना में
देतें तुमको कर्तव्य ज्ञान
हनुमत साहस-बल संरक्षक
अंगद अटल अचल गिर समान
भरत विनम्र त्यागमूरत
शत्रुघ्न प्रेममयी निष्ठावान
उर्मिला दृढ निश्चय द्योतक
मंदोदरी अकाट्य होनी का प्रमाण
दशानन कुटिल छद्मवेशी
अहं,लोभ,मोह,क्रोध,काम,माया,
कुबुद्धि दे हरता तुम्हारे सद्गुण तमाम ।
निहित है हममें ईश्वरीय गाथा की संपूर्ण झांकी,
जागो ! करबद्ध हो अपने राम को करो प्रणाम ।

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8 OCT 2021 AT 21:05

भीड़ से भरे कोर्टरूम में खड़े वकील साहब अपने नगर के रईस मुवक्किल को गैर इरादतन हत्या के आरोप से बचाने की जद्दोजहद में अलग अलग दलीलें देते हुए अचानक कह बैठते हैं - " जनाब, सड़क सोने के लिए नहीं होती वहाँ सोएगें तो गाड़ी के बेकाबू होने पर तो मरेंगे ही । इसमें मेरे क्लाइन्ट का भला क्या दोष ?
गाड़ी जिनकी हो जरूरी नहीं की चला भी वहीं रहे हों।"
उनकी कई दलीलों और कानूनी दाँव पेचों से सर धुनाई करने-करवाने के बाद अंत को वकील साहब के मुवक्किल बाइज्जत बरी होते हैं ।
कुछ सालों बाद वे रईस जो वकील साहब की मेहरबानी से देश के प्रभावशाली लोगो में से एक बन बैठे थे उनके रिश्तेदार का लड़का जानलेवा नशाखोरी के मामले में एक सात सितारे होटल से धरा जाता हैं । कोर्टरूम में जज साहब के समक्ष दोष-निर्दोष सिद्ध होने से पूर्व ही वकील साहब कह बैठते है " जनाब ये लड़का चाहता तो पूरा होटल खरीद सकता था, ये वहाँ जा ऐसा क्यों करेगा ? "
कोर्ट की कारवाई को तरतीबवार लिखता एक 52 साल का मुलाजिम अपने मशीनी ढर्रे पर काम करता हुआ मन में एकबार को कहता है
" सड़क पर सोने वाले शौक से नहीं सोते लेकिन बड़े होटलो में जाने वाले ,बेसुध अपने घर पहुँचने वाले , शौक से ही ऐसी जगह को जाते है "

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8 OCT 2021 AT 12:44

सुनती हूँ ,बस सुनती हूँ
और दिन गिनती हूँ
वो कहते हैं,
तुम से बहुत
टूट बिखर गए
तुम क्या बचोगी ।
वो कहते हैं,
भीड़ से अलग चलोगी
धूल में जा मिलोगी ।

सुनती हूँ ,बस सुनती हूँ
और दिन गिनती हूँ
वो कहते हैं,
नन्हीं चिड़िया घोसलें सजाती हैं
तुम क्यां उड़ान भरोगी ?
वो कहते हैं,
बाज सा गगन भेदने की
कोशिश में हो, कर लो
तुम भी एक दिन
सोन पिंजर में आ गिरोगी ।

सुनती हूँ ,बस सुनती हूँ
और दिन गिनती हूँ
फिर मुस्करा ईश्वर से कहती हूँ
वो जो कहते हैं
बर्बादियों का आगाज किया है मैनें
अंजाम आने तक
यूं हौसलाअफजाई तो करते रहेंगे ?

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30 SEP 2021 AT 11:05

मैं शब्द तुम अर्थ
तुम बिन सब व्यर्थ ।

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15 SEP 2021 AT 9:59

किसी गैर के सहारे आपका जीवन
आपको वहीं तक पहुँचाता हैं,
जहाँ तक मुर्दे पहुँचते हैं, दूसरों के कांधे पर ।

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14 SEP 2021 AT 10:46

हिंदी दिवस के दिन हिंदी बोलने वाले ,
हिंदी बोलने वालो से कहते हैं कि
हमें हिंदी में बोलना चाहिए और फिर
अपने बच्चों का दाखिला
अंग्रेजी माध्यम में कराने के लिए
लम्बी कतार का हिस्सा बन जाते हैं ।

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31 AUG 2021 AT 2:34

हरे कृष्ण हरे कृष्ण
आलाप सुन मुस्काए हलधर
गिरिधर ! धरा तेरी निश्चल
सरल भक्ति का प्रमाण हैं ।
माटी के ये नश्वर पुतले
कितनी मधुर इनकी तान हैं ।
पूजते हैं कर्मयोगी ग्वाले को
बखानते हैं पार्थ सारथी को
सराहते है पांचाली-केशव को
भजते हैं राधे मोहन को
माँगते है सखा सुदामा को
कहते है तुम रणछोड़ हो
गाते है माखन चोर हो
यशोदा सी ममता तुमपर लुटाते हैं
नंद का लाल कह तुझे रिझाते हैं
माखन मिश्री दुध दधि घी मट्ठा
थाल में छप्पन भोग सजाते हैं ।
फिर क्यूं ये वैराग्य लिया ?
क्यूं यें शेष-शैय्या त्याग दिया ?
क्यूं नहीं बांसुरी को राग दिया ?
क्यूं न फिर से गल वैजयंती हार लिया ?


( शेष अनुशीर्षक में )

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