तू जो मुझें यहाँ अकेला छोड़ गया,
ना कोई मेरे आगे, ना कोई मेरे पीछे,
बस एक तेरे यादों का बसेरा रह गया,
दिन अंधीयारी, रात काली,
किससे करूँ मैं अपने दिल की बातें सारी,
सुना हो गया घर का हर कोना-कोना,
सुनी हो गयी गालियाँ सारी,
अब लगता नहीं तू हैं मेरा,
था जो कभी तू साथ मेरे,
उनको सच समझूँ मैं!
या था मुझें कोई सपना आया।
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