Priti Dimri  
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मेरी लेखनी,मेरी सखी मन के भावों को पढ़ लेती है।
शब्दो को पिरोकर, कविता का रूप ले लेती है।।
Joined 21 May 2019


मेरी लेखनी,मेरी सखी मन के भावों को पढ़ लेती है।
शब्दो को पिरोकर, कविता का रूप ले लेती है।।
Joined 21 May 2019
5 JAN 2022 AT 22:25

प्रेम पथ पर जो बढ़े कदम,
दुनिया मेरी बदल गयी।
हर पल तुम संग मेरे,
तकदीर तुमसे जुड़ गयी।
प्रेम को दिया अर्थ है,
मैं सदा से तेरी हो गयी।
कब रिश्ते का नाम मांगा,
प्रीत हर रिश्ते से बढ़कर हो गयी।

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5 JAN 2022 AT 15:40

न जाने क्या मेरी तकदीर है,
रेत की मानिंद,या प्रीत की नीर है।
न मुझमे तू कम,तेरे लिए हृदय अधीर है।

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5 JAN 2022 AT 13:50

नेह के धागे से बंधा है।
रब ने मेरे लिए तुझे भेजा है।
जन्मों की ये प्रीत है।
हर जन्म तुझसे बंधा है।

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5 JAN 2022 AT 13:12

मेरी जान,मेरी मुहब्बत है तू,
देता है जो मुझे अर्थ,वो शब्द है तू।
तुझसे दूर जाना नहीं,
मेरी जिंदगी,जीने की वजह है तू।

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5 JAN 2022 AT 5:49

कौन कहता है, तेरा मेरा रिश्ता नहीं,
संग मेरे जागता है, संग मेरे उठता है।
दिल में धड़कता है तू दिल बनकर,
सांसो में महकता है तू प्रेम बनकर।
एक पल ऐसा नहीं मेरी जिंदगी का,
जब तू मेरे साथ नहीं प्रीत बनकर।

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4 DEC 2021 AT 7:47

❤️
सांसों से जब सांसे जुड़ने लगी,
एक ख्वाबआंखों में सजने लगा।
दिल में तेरी प्रीत जगने लगी,
धड़कन तेरा नाम लेने लगी।
एक तमन्ना थी नाम का संगम हो,
तेरी मेरी प्रीत की नीति हो।
शायद प्रेम की यही परिणीति है,
कुछ रहेगा अधूरा क्योंकि,
प्रेम का अक्षर ही कब पूरा है।

🌹❤️🌹❤️

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2 NOV 2021 AT 21:19

❤️
मेरी नजरों में सिर्फ तुम,
धड़कते हो धड़कनों में तुम।
तुमसे ही जाना मुहब्बत है क्या,
मेरी सांसो में महकते हो तुम।
❤️
बन गए हो तकदीर तुम,
मेरे हाथों की हिना तुम।
नए ख्वाब सजने लगे हैं,
जीने की आस बन गए तुम।

प्रीति❤️

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1 OCT 2021 AT 17:47

भावों को अपने,बाँध देने लगी हूँ।
आंसुओं को अपने,पीने लगी हूँ।
दर्द दिल का,सीने में छिपाने लगी हूँ।
शब्दों को अब, विराम देने लगी हूँ।
सीखा तुमसे जीवन का पाठ,
सबक नए सीखने लगी हूँ।
अब मुहब्बत तेरी सँजो कर,
मुस्कुराकर आगे बढ़ने लगी हूँ।

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6 AUG 2021 AT 15:35

❤️
दिल से देती हूँ दुआएँ
लम्बी उम्र हो आपकी,
ले लूँ सारी बलाएं।
सत्य पथ पर सदा चलना,
सत्यानुशासित सदा रहना।
प्रेमपथ पर सदा रहना,
ह्रदय में प्रेम बसाए रखना।
अनन्त गगन में तारे जितने,
खुशियों के पल हों उतने।
सागर की जितनी है विशालता,
सदगुणों को मिले पराकाष्ठा।
ह्रदय की अंनतम कामना कहे,
जीवन गंगा सा अविरल बहे।
मुस्कुराहट चेहरे पर सदा,
आपके यूहीं खिलती रहे।

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8 JUL 2021 AT 17:38


प्रभास सुख का हो प्रतिपल,मेरे दिल की हर प्रार्थना ये कहती है।
कामयाबी का मिले आसमां, हर धड़कन ये कामना करती है।
खुश रहे तू सदा,मेरी हर आरज़ू ये कहती है।
बन सकूँ तेरी हमराज यदि,इतनी सहमति लेती है।
प्रेम सदा तेरे संग रहेगा,वादा ये प्रीत करती है।

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