Prithviraj Singh Rajawat Gaonli   (Prithviraj Singh Rajawat)
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Joined 6 July 2019


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तेरी आवाज सुने काफी अरसा हो गया
जरा सुन लूं तो शायद अच्छा लगने लगे

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29 FEB 2020 AT 20:20

मुझे तुम नहीं
तुम्हारा साथ चाहिए
मुझे तुम नहीं
तुम्हारी खुशी चाहिए
मुझे तुम नहीं
तुम्हारी हसी चाहिए
मुझे तुम नहीं
तुम्हारा वक़्त चाहिए
जो ना दे सको ये सब मुझे
और कुछ ना सही थोड़ी सी तुम्हारी यादें चाहिए।।

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इक ही ज़िन्दगी है
होले होले खर्च करो।

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29 JAN 2020 AT 19:12

कुछ यू समझ लीजिए के अब
तुम्हारा जानमुझ कर नजंदाज करना भी अब बुरा नहीं लगता।
बस ये सोच के ही खुश हो जाते है के इसमें भी तुम्हारी कहीं कोई खुशी होगी।।

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27 DEC 2019 AT 18:56

अब किसी को हमसे जुदा होने का खौफ ना रहा ,
जो कभी अपनी जान हमारे नाम करता था ,
आज वह नाम ना रहा ,
बेशुमार थी जब दौलत हमारे पास,
कभी बस्ती की कमी महसूस ना हुई ,
आज जब वह आलीशान महल खाली हुआ ,
ना जाने कैसे हर आपना आज फिर से मजबूर हुआ ।

Prithviraj singh rajawat
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जिस टुकड़े-टुकड़े के लिए ,
एक दूसरे से लड़ते हो
जिसे सरहदें कहते हो ,
एक ऐसा हक दिया है ऊपर वाले ने,
जिसे ना वो रोक सकते हैं ,
ना तुम बदल सकते हो
अंत सबका एक ही है,
क्या उसी टुकड़े में मिलने से ,
तुम किसी को रोक सकते हो।।

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25 NOV 2019 AT 23:32

जहां पीपल के पेड़ के नीचे छांव थी ,
वो जगह मेरा गांव थी ,
अभी अभी एक गांव बना है ,
जहां पेड़ों की जगह ईटो का जंजाल खड़ा है ,
हवाएं यहां भी ठंडी चलती है ,
बस फर्क इतना है ,
वहां खुले आसमान के नीचे होती है ,
यहां 10 बाय 20 में होती है ।

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इतना चुप चुप क्यों हो ,
कोई बात हो गई क्या ,
वो जो आया था तुम्हें मुझ से दूर ले जाने ,
उसके घर से हां हो गई क्या ?


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23 NOV 2019 AT 22:54

तुम्हारा दीदार ही बहुत हुआ करता था ,
हमारा दिन बनाने के लिए ,
खुदा की रहमत देखो,
तुम्हें ही हमारा बना दिया ,
दिन तो बहुत दूर की बात है ,
हमारी जिंदगी को बना दिया।।


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21 NOV 2019 AT 22:34

रोज-रोज यू तुमसे ठहरने की ज़िद करने से तो बढ़िया है,
कि हम ठहर जाएं तुम्हें रोकने की जिद करते करते।।


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