Pritesh Vadgama   (Pritesh Vadgama)
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Joined 10 June 2018


Joined 10 June 2018
26 DEC 2021 AT 10:32

खामोशियों के समंदर में शब्दों की लहरें उठी है आज फिर,
शायद कोई शायर शायरी का तूफान लाएगा आज फिर।

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29 OCT 2021 AT 9:20

जिस को खुद पे विश्वास नहीं होता, वह अक्सर दूसरो के साथ खेल में उतरने से हिच किचाया करते हैं।

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24 JUN 2021 AT 5:52

तेज चलनेवाले अक्सर अकेले रह जाते हैं।

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17 APR 2021 AT 12:32

ખુદ ને ભૂસીને
તારા માટે
ફરી લખાયો છું હું.

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16 MAR 2021 AT 17:10

एक कहानी थी जो तुमको सुनानी थी।




पर अब रहने दो।

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5 FEB 2021 AT 23:45

किसी को पाने की दौड़ में
हम खुद को ही खो बैठे।

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29 JAN 2021 AT 15:21

આંખોએ તેની મંઝિલ ગોતી લીધી,
પણ પ્રવાસ માટે હોઠ અચકાતા રહ્યા સદા.

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17 JAN 2021 AT 17:04

जिसने आपको गलत ही समझा है ,
उसको आपकी हर बात गलत ही लगेगी।

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17 JAN 2021 AT 17:01

गजब का दौर चल रहा है,
चिल्ला हर कोई रहा है,
पर सुन कोई नहीं रहा है।

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7 JAN 2021 AT 18:45

Dedicated to "PAPA"

अपने कई सपने अधूरे छोड़ दिए,
सबकी ख्वाहिशें पुरे करने के वास्ते।

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