कौन सा रिश्ता पाला जाए,
किस किसको संभाला जाए।
किसको कैसे रखे जीवन मे
किसको दिल से निकाला जाए।
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सबको समझ नही आती मेरी लिखी बातें, क्युकी लोग अल्फाज पढ़ते है और ... read more
सोच रहा हूं आज तुमको लिखूं । हां , मैं सच कह रहा हूं आज मैं सिर्फ तुम्हें लिखना चाहता हूं लेकिन क्या लिखूं ? फिर कोई शायरी , गज़ल या कोई नज़्म । यकीन करो मेरा मैं लिख चुका हूं तुम पर तमाम कविताएं , शायरी , गज़ल लेकिन ........ लेकिन कुछ है ,एक ख़लिश जैसा क्योंकि जब भी तुम्हें लिखने के बाद, तुम्हें पढ़ता हूं तो लगता है .... क्या तुम सच में बस इतनी ही खूबसूरत हो या शायद........ शायद मैं तुम्हें उतना खूबसूरत लिख ही नहीं पाया । आज नहीं लिखना मुझे कोई कविता , गज़ल, शायरी या कोई नज़्म । आज लिखना है मुझे बस तुम्हें , तुम्हारे जैसा । शायद यही वजह है कि अब........ जब मैं कुछ और नहीं लिख सकता हूं ,तो लिख सकता हूं तुमको तुम्हारे जैसा ही खूबसूरत .....
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चैट के उद्देश्य से आई थी,
इसीलिए जाने दिया।
कुछ पढ़ने लिखने वाली होती तो ,
फ़्रेंडलिस्ट में होती।😊😊
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इल्जाम तो लगा दूँ कि कातिल भी तूम्ही हो,
मगर मासूम सा चेहरा है यकीन कौन करेगा।-
रात के सब स्वपन झरते
फिर उमड़ आँखो में सजते
देखता हूं क्षितिज रण में
नित नया सूरज उगते।
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ये कोरोना तो चंद दिनों की बीमारी है जिसका इलाज नही मिल रहा है ,
पर इश्क़ का क्या करे वो तो वर्षो से लाइलाज है ...-
व्यस्तताओ के इस शहर में सोने का वक़्त नही है ,
सैकड़ो मरते है रोज मगर रोने का वक़्त नही है ,
इस शहर का आदमी सब कुछ हो सकता है लेकिन,
उसके पास अभी आदमी होने का वक़्त नही है !
भटकती बेघर लहर है दोस्तों,
ये मेरा #दिल्ली शहर है दोस्तो!!-
नही पूछेगा कल तेरी ख़ैरियत कोई भी,
सब तेरी औकात पर प्रश्न उठाएंगे!
इसीलिए आज ले ले फैसला की खुद को ऊँचाई तक ले जाएंगे !!-