दिन हो या हो रात, यह जागता रहता है
कोई आता है शहर गांव से अपने सपने लेकर,
किसी को सिंहासन पर बैठाता है
तो किसी के सपने ही खा जाता है
लेता है लोगों को ऐसे अपनी जिम्मेदारियों के आगोश में
कोई अपना घर तो कोई गांव का सुकून भूल जाता है-
Lives in Lucknow
Love to write.
If you are chai lover,
T... read more
पाक सुनो रण ऐसा होगा,
पाक भी था कभी नक्शें में
यहीं अगला सवाल सबका होगा-
घूमना शौक के साथ साथ जरूरत है मेरी,
क्यूंकि सफर वो सिखाता है हमें जो किताबें नहीं सिखाती-
तेरी खातिर मैं भी ले आता एक गुलाब,
नजर जो तेरी टिक जाती मुझ पर कहीं जनाब-
कर रहे थे लोग खुदा से शिकायत कि जिंदगी में बहुत ग़म देखे है
खुदा पूछ बैठे उनसे,
कभी अपनी मोहब्बत को किसी गैर के साथ देखे हो
और ग़र नहीं देखे हो तो क्या खाक ग़म देखे हो-
आज नक़ाब से छुपा रहे थे वो चेहरा अपना,
जिन्हें हमने कभी बेनक़ाब देखा था-
महफ़िल में लोगों को इतना हँसाया कि लोग हंसते हंसते रोने लगे,
शायद उन्हें पता नहीं था कि जो हँसा रहा है
उसे जिंदगी ने इतना रुलाया है कि अब वो रोते रोते हंसने लगा है-
तू सात फेरों में किसी और की हो गई
कोई चाह रहा था तुझे सात जन्मों के लिए-
Day 366/366
आजाद कर दिया हमने आज अपने मनपसंद लोगों को
उन्हें घुटन हो रही थी, अब हमारी मोहब्बत से-