Prisoner Of ❤   (Prisoner of ❤)
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Joined 17 January 2020


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Joined 17 January 2020
16 JUN AT 1:28

दिन हो या हो रात, यह जागता रहता है
कोई आता है शहर गांव से अपने सपने लेकर,
किसी को सिंहासन पर बैठाता है
तो किसी के सपने ही खा जाता है
लेता है लोगों को ऐसे अपनी जिम्मेदारियों के आगोश में
कोई अपना घर तो कोई गांव का सुकून भूल जाता है

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8 MAY AT 23:15

पाक सुनो रण ऐसा होगा,

पाक भी था कभी नक्शें में
यहीं अगला सवाल सबका होगा

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26 APR AT 21:01

घूमना शौक के साथ साथ जरूरत है मेरी,

क्यूंकि सफर वो सिखाता है हमें जो किताबें नहीं सिखाती

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7 APR AT 23:59

तेरी खातिर मैं भी ले आता एक गुलाब,

नजर जो तेरी टिक जाती मुझ पर कहीं जनाब

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18 FEB AT 0:52

कर रहे थे लोग खुदा से शिकायत कि जिंदगी में बहुत ग़म देखे है

खुदा पूछ बैठे उनसे,

कभी अपनी मोहब्बत को किसी गैर के साथ देखे हो
और ग़र नहीं देखे हो तो क्या खाक ग़म देखे हो

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4 FEB AT 20:46

आज नक़ाब से छुपा रहे थे वो चेहरा अपना,

जिन्हें हमने कभी बेनक़ाब देखा था

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17 JAN AT 23:09

गर होती तुम्हें मेरे होने की कदर

तो मैं ता-उम्र तेरा ही रहता

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14 JAN AT 2:20

महफ़िल में लोगों को इतना हँसाया कि लोग हंसते हंसते रोने लगे,

शायद उन्हें पता नहीं था कि जो हँसा रहा है

उसे जिंदगी ने इतना रुलाया है कि अब वो रोते रोते हंसने लगा है

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12 JAN AT 1:12

तू सात फेरों में किसी और की हो गई

कोई चाह रहा था तुझे सात जन्मों के लिए

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31 DEC 2024 AT 22:13

Day 366/366

आजाद कर दिया हमने आज अपने मनपसंद लोगों को

उन्हें घुटन हो रही थी, अब हमारी मोहब्बत से

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