अभिनन्दन है वन्दन है
नव संवत्सर का
सादर अभिनन्दन है
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का
गुड़ी पड़वा का
विक्रमी संवत् २०८२
भारतीय नववर्ष ,चेटीचंड का
स्वागत है अभिनंदन है
भगवा ध्वज लहराते भवनों का
और नववर्ष की बधाई देते
देव जनों का वंदन है
अभिनन्दन है
#विक्रमीसंवत्२०८२, #भारतीयनववर्ष-
संस्कृत,हिन्दी,अंग... read more
ऐसी पिचकारी की घालन!
कहाँ सीक लइ लालन!
कपड़ा भींज गए बड़ बड़ कें, जड़े हते जर तारन॥
अपुन फिरत भींजे सो भींजे, भिंजै फिरे ब्रजबालन॥
तिन्नी तरें छुअत छाती हौ, पीक लाग गई गालन॥
‘ईसुर’ आज मदन मोहन ने, कर डारी बेहालन॥
प्रेम और सद्भावना के साथ अहंकार पर उदारता के उकसाव के साथ रंग पर्व "होली" की बधाई।
#फाग-
अखिल ब्रह्माण्ड अधिपति स्वामी राजराजेश्वर श्री सीताराम जू के विवाह महामहोत्सव की आप सब को बधाई एवम् मंगलकामनाएं...
भुवन चारिदस भरा उछाहू | जनकसुता रघुबीर बिआहू || सुनि सुभ कथा लोग अनुरागे | मग गृह गलीं सँवारन लागे ||
#विवाहपंचमी-
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः।
स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।।
ॐ सर्वाबाधा वि निर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय॥
#महागौरी च अष्टकम #सुरसुंदरी-
दरिद्र दुःख हारिणी,
सदा विभूति कारिणी ।
वियोग शोक हारिणी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
लसत्सुलोल लोचनं,
लतासनं वरप्रदं ।
कपाल-शूल धारिणी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
#षष्ठमकात्यायनी #विंध्यवासिनी-
रक्षाहीनं तु यत्स्थानं वर्जितं कवचेन तु।
तत्सर्वं रक्ष मे देवि जयन्ती पापनाशिनी॥
पदमेकं न गच्छेतु यदीच्छेच्छुभमात्मनः।
कवचेनावृतो नित्यं यत्र यत्रैव गच्छति॥
#पंचमस्कंदमाता #देवमाता-
नमस्तेऽस्तु महारौद्रे महाघोरपराक्रमे।
महावले महोत्साहे महाभयविनाशिनि॥
त्राहि मां देवि दुष्प्रेक्ष्ये शत्रूणां भयवर्धिन।
प्राच्यां रक्षतु मामैन्द्री आग्नेय्यामग्निदेवता।।
#कूष्माण्डेतिचतुर्थकम #तपस्विनी-
हस्तयोर्दण्डिनी रक्षेदम्बिका चांगुलीषु च।
नखांछूलेश्वरी रक्षेत्कुक्षौ रक्षेत्कुलेश्वरी॥
स्तनौ रक्षेन्महादेवी मनः शोकविनाशिनी।
हृदये ललिता देवी उदरे शूलधारिणी॥
#तृतीयमचंद्रघंटेति #भवमोचनी-