मैं ईश्वर की अराधना मोक्ष के लालच के लिए नही करता, मैं उनसे तुम्हे मांगता हूं __ प्रेमिका! तुम्हारे साथ जितने भी क्षण बिताए एक एक क्षण मेरे लिए जीवन के मोक्ष से बढ़कर अपितु ईश्वर तुल्य है।।
अब तो आत्मा की पीड़ा का बोझ तन पे भारी पड़ने लगा है एक गहरी घुटन सी होती रहती है ज़िन्दगी में जिसकी बेबसी में सारे प्रयास हिम्मत थक से गए है... बहुत थकने के बावजूद भी सो नहीं पाता प्रिय गर मैं तुम्हें अपनी बाहों में समेट एक सुरक्षित विश्वास युक्त जगह महसूस करा सकता तो क्या तुम भी एक रोज अपना आंचल फ़ैला कर मुझे गहरी नींद में सुला दोगी प्रिय?!
आपको पता है कुछ रिश्तों में आपको अपनी भाषा का तहज़ीब हमेशा बरक़रार रखना चाहिए... और जो गुस्से में आपके साथ debate करते समय अपनी भाषा में तहज़ीब और अदब भूल जाएं उनसे आप अपेक्षा भी मत करना की ये आपके साथ उसी रिश्ते में उमर भर रह सकते हैं 🙃...
चर्चा अगर प्रेम की है तो मेरा सबकी सोच से देखा जाए तो सब कहेगें में अधूरा हूं क्योंकि मेरी प्रेमिका नही है..लेकिन मैं कह रहा हूं जब मैने उसे प्रेम करने का फैसला कर ही लिया है तो मुझे उसके साथ होना न होना से क्या?? फिर कहते है तू द्वापर त्रेता की प्रेम सम्बंध समझाता लेकिन क्या ये युग बदलने से प्रेम सम्बन्ध बदलते है क्या..पहले भी लोग ईश्वर से प्रेम करते थे..और अब मैं अगर ईश्वर के तुल्य कोई पवित्र soul मिले तो उसको प्रेम करना ईश्वरी उपासक मानकर उसके अन्दर जो अनंत प्रेममय पवित्र हृदय को मन से पूजना का भाव आए तो भला क्या हर्ष है.. वो मेरी राधा न सही मैं उसकी इबादत वैसे ही करता हूं जैसे मीरा कृष्णा की 🙏
जिस रात तुम अपनी देह, किसी अनचाहे पुरुष को समर्पित करोगी वो रात तुम्हारे जीवन की सबसे काली रात होगी, हमारा प्रेम तुम्हें अनुमति नहीं देगा, ना ही तुम्हारा हृदय और ऐसे वो रात हमारे प्रेम को निगल जायेगी...!!!🥀💔