PRINCE VERMA   (Prince)
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Joined 10 November 2019


Joined 10 November 2019
11 APR 2020 AT 11:43

बड़ा मासूमियत भरा वो बचपन था
घर भी बनाते थे तो घर के अंदर

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13 SEP 2021 AT 23:33

सुनो वही लोग अक्सर मेरे दिल मे रहते हैं
जो मुझे ही मेरी खामियों का तस्करा करते हैं

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26 AUG 2021 AT 21:30

हुआ कुछ मुझ पे उसका असर भी नहीं!!
क्यों पर मुझे कुछ मेरी खबर भी नहीं !!

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24 AUG 2021 AT 10:31

और भी आज़माइशे हैं
अभी और सफर जाना है!
दूर है कहीं मज़िल तेरी
अभी और ठोकरे खाना है!

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8 APR 2021 AT 8:34

सिर्फ दिल को ही क्यों सजा देते हो
ये कहाँ का इंसाफ है
आंखे नज़र और उसका लहजा
इन सब को भी शरीक-ये-तफ्तीश करो

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27 MAR 2021 AT 13:47

इस बड़े शहर मे जाने कितने घर हैं
जितने ऊँचे घर हैं उतने खाली घर हैं

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27 MAR 2021 AT 9:45

खुदा बनाया है अगर पत्थर को
तो उस पत्थर को खुदा समझो
न उम्मीद रखो न कोई आरज़ू उससे
पत्थर है वो उससे पत्थर की तरह रखो

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15 MAR 2021 AT 13:16

इंसान हूँ कोई फरिश्ता नहीं !
वो मुझको सब से जुदा समझ बैठें है!!
वो माफ़ करने पे राजी न हुए!
लगता है मुझको खुदा समझ बैठें है !!

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19 FEB 2021 AT 0:59

ख़ामोशी बाहर इतनी है
क्यों अंदर शोर हो रहा है

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9 FEB 2021 AT 11:24

यूँ आंख बंद कर के ऐतबार न किया करो
प्यार करो बेहिसाब न किया करो
मिल ही जाएगे तेरा है जो
कुछ इबादत और शिद्दत से इन्तजार किया करो

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