Prince Patel  
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Joined 17 June 2019


Joined 17 June 2019
56 MINUTES AGO

मोहब्बत वो खामोशी है, जो दिल से शुरू होकर रूह तक उतर जाती है।

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3 HOURS AGO

जीवन में कुछ शर्तें पूरी होनी चाहिए,
वरना चाहतें भी बेवजह सी लगती है।
इंसान की कदर कामयाबी से होती है,
वरना कोशिशें भी अनसुनी सी लगती है।

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3 HOURS AGO

हर घर में हो एक सितारा,
जो बन सके उजियारा हर अंधियारा।
जो मुश्किलों में ढाल बने,
और प्रेम से हर जख्म सिले।

पसीने से जो इतिहास लिखे,
पर तारीफ़ों से कोसों दूर दिखे।
जिसकी मेहनत से नींव टिके,
और जिसकी चुप्पी में घर बसे।

न नाम चाहिए, न शोर कोई,
बस अपनों की सलामती हो हर पल वही।
ना मंच चाहिए, ना तालियाँ,
बस आँखों में हो गर्व की चमक सारे जहाँ की।

बनो वो दीप जो आँधी में भी जले,
बनो वो सपना जो घर को दिशा दे,
बनो वो इतिहास, जो पीढ़ियों को अभिलाषा दे।

बन जाओ वो गर्व…
जिसे हर पीढ़ी कहे — ये हमारे घर का है तारा ।


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15 JAN AT 23:07

शोर-शराबा वाली इस दुनिया के बीच
तुम सुनने की कोशिश करना
अपने माता-पिता का मौन
वो मौन जिसमें सिर्फ और सिर्फ उम्मीदें हैं ।

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29 APR 2024 AT 1:47

एक अजनबी से क्यो लगते हो आजकल तुम मुझे
जाने क्यो कुछ बदले-बदले से लगते हो आजकल तुम मुझे
हर बात मे नाराजगी जता देते हो
क्यो मेरे नही लगते हो आजकल तुम मुझे
न मेरी अनकही बातें तुम्हारे होठो को छु पाती है न मेरी मौजूदगी तुम्हारे दिल को सुकुन देती है
बस इतना ही बता दो क्यो देखते नही आजकल तुम मुझे .......

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28 APR 2024 AT 10:28

श्रृंगार की हुई स्त्रियों से ज्यादा सुंदर लगती है संघर्ष करती हुई स्त्रियां..फिर चाहे वो सूट सलवार में हो या हो किसी साधारण सी साड़ी में एकमात्र बिंदी के साथ..!

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16 JUL 2022 AT 18:54

चेहरे का रंग अगर खुबसूरती का पैमाना होता ..
तो श्रीकृष्ण कभी सांवला ना होता !

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19 MAY 2022 AT 23:42

ये कि जिन्हें प्यार में purity नसीब होता
कहते हैं शायद ..
उन्हें उस सच्ची स्नेह का surity नसीब नहीं होता !

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17 MAY 2022 AT 13:25

तुम्हारी उस एक मुलाकात का जादू उतरता हीं
नहीं है !
तुम्हारी आखों की बेसुमार नरमी,
तुम्हारी नटखटी बातों की बेहिसाब गुस्ताखी इस दिल से उतरता हीं नहीं है ।
ना जाने कितनी गहराईयां थी उन जज्बातों में कि इस मन से उतरता हीं नहीं है !

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17 MAY 2022 AT 13:06

सोचता हूं कुछ लिखुं पर मन रूपी शब्दकोष से शब्द बाहर आने को तैयार नहीं ।
मानो कई मरतवा उसे अनदेखा किया गया हो , मानो हजारों बार उसे ना समझा गया हो ,
शायद इसलिए ये बहरूपी आवरण लाँघने को तैयार नहीं !
अगर फिर से लगी भनक उसे कि डाल दिए जाओगे उसी अनदेखे और नासमझी के घेरे में ..
सोचता हूं ..क्या वो जुटा पाएगा इतनी हिम्मत फिर से बाहर आने की.! उतनी ही सिद्दत से खुद को पढ़े चले जाने की !
ये शब्द भी अपने आप में कितना अनोखा होता है... सौ दर्द मुस्कान लिए फिरता रहता मनोभूमि के गलियारे में !
बेसक ये हर इंसान का एक अनमोल गहना होता है .. बिना कोई परवाह किये यूं प्रकट होता रहता हर किसी के भावों में !
कोई तो समझे इसकी एहमियत.. इसे कैसे भटकाता रहता सब अपने जज्बातों में !

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