Prince Kumar   (Prince)
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आत्म दीपो भव:।

Be thy light .

कुछ कहने की कोशिश में।
Joined 15 August 2018


आत्म दीपो भव:।

Be thy light .

कुछ कहने की कोशिश में।
Joined 15 August 2018
3 MAY 2023 AT 16:54

परिंदे

लौट आए हैं परिंदे आज फिर से जमीं पर,
जो हैं अक्सर आसमां में वजूद ढूंढने वाले ।

बिखरे हुए सीसे की खता कोई पूछे कैसे,
मिट्टी बन जाते हैं, टूट कर फिर जुड़ने वाले ।

खोजता हूं परछाइयों में खुद को कभी कभी,
चांद सा तन्हा रहते हैं,शब से वफ़ा करने वाले ।

गुमराह न हो, हुनर से चलना सीख ले 'मियां'
सदा सफ़र में रहते हैं, राह भटक जाने वाले ।।


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8 MAR 2023 AT 9:45

कल किसने देखा है

उठ चल थोड़ा काम करें हम,
ऐसे बैठ न आराम करें हम,
जाने कल सैलाब आए या आए सूखा ?
कल किसने देखा है ?

खोलें मन की गांठें हम,
कर लें दिल की बातें हम,
बीते रंजों को भूलें जाने कल कैसा हो ?
कल किसने देखा है ?

आज नव बहार है फिजा में,
आज मधुर संगीत है हवा में,
ये सब कल रहें या न रहें ?
कल किसने देखा है ?

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24 OCT 2022 AT 10:15

दरिद्रता भागे, हों धन-धान्य घर लक्ष्मी विराजमान
अमावस चीर दीपशिखा क्षितिज पर हों देदीप्यमान ।

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19 SEP 2022 AT 15:02

छींटाकशी का दौर है, तोहमतों से क्यूं डरें,
पूरा सफर तो बाकी है, फिर धूप से क्यूं डरें ?

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16 SEP 2022 AT 0:04

अक्सर देख नहीं पाती हूं, तक़दीर की मांद होती लकीरें
दिन में ख्बाबों पर इतराती हूं, और रातें सुला जातीं हैं।


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25 AUG 2022 AT 12:18

फिर छोड़ जाने के सबब, पर आना जरुर मेरे सपने में
फकत इसी बहाने कुछ चैन की नींदें सो लिया करते हैं।

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21 AUG 2022 AT 20:54

चलो आज हम सितारों के गांव चलते हैं,
इस दुनिया की बेदखली से अब ऊब चुके हैं ।

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20 AUG 2022 AT 11:58

वीरान हो गए हम

पीली रेतों पर चलते चलते, स्याह रातों संग बहते बहते.
कहीं किसी नूर की खोज में, खुद ढलती शाम हो गए हम ।

हालातों से यूं लड़ते लड़ते, ख्वाबों को पूरा करते करते
कुछ तारे तोड़ने का भ्रम ले, तारों सा वीरान हो गए हम ।

बीच भंवर में कश्ती लेकर, यम से दो हाथ करते करते
अब जीने की जब बारी आई, क्यूं एक शमशान हो गए हम ।

टूटे रिश्तों की छींटें पाते पाते, वफ़ा की रस्म निभाते निभाते
तोहमत -ए- इश्क के दौर में, बेवजह बदनाम हो गए हम ।

Prince





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19 AUG 2022 AT 12:47



कुंचित केशा कृष्ण के, किरीट शोभे मोर ।
मीत मुख मुरली धरे, मोहन माखन चोर ।।

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18 AUG 2022 AT 8:58

आज हवाओं में फिर कुछ नमी- नमी सी है
जाने तिरी नजर को किसकी नजर लगी है ?

बे आबरू भरी दुपहरी चांद नजर आया है
बता तेरे हिस्से क्या क्या सितारे सजी हैं ?

नींदें खोल तू, सपनों की आंख मिचौली है
बता तेरे किन किन सपनों में पंख लगे हैं ?

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