परिंदे
लौट आए हैं परिंदे आज फिर से जमीं पर,
जो हैं अक्सर आसमां में वजूद ढूंढने वाले ।
बिखरे हुए सीसे की खता कोई पूछे कैसे,
मिट्टी बन जाते हैं, टूट कर फिर जुड़ने वाले ।
खोजता हूं परछाइयों में खुद को कभी कभी,
चांद सा तन्हा रहते हैं,शब से वफ़ा करने वाले ।
गुमराह न हो, हुनर से चलना सीख ले 'मियां'
सदा सफ़र में रहते हैं, राह भटक जाने वाले ।।
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Be thy light .
कुछ कहने की कोशिश में।
कल किसने देखा है
उठ चल थोड़ा काम करें हम,
ऐसे बैठ न आराम करें हम,
जाने कल सैलाब आए या आए सूखा ?
कल किसने देखा है ?
खोलें मन की गांठें हम,
कर लें दिल की बातें हम,
बीते रंजों को भूलें जाने कल कैसा हो ?
कल किसने देखा है ?
आज नव बहार है फिजा में,
आज मधुर संगीत है हवा में,
ये सब कल रहें या न रहें ?
कल किसने देखा है ?
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दरिद्रता भागे, हों धन-धान्य घर लक्ष्मी विराजमान
अमावस चीर दीपशिखा क्षितिज पर हों देदीप्यमान ।-
छींटाकशी का दौर है, तोहमतों से क्यूं डरें,
पूरा सफर तो बाकी है, फिर धूप से क्यूं डरें ?-
अक्सर देख नहीं पाती हूं, तक़दीर की मांद होती लकीरें
दिन में ख्बाबों पर इतराती हूं, और रातें सुला जातीं हैं।
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फिर छोड़ जाने के सबब, पर आना जरुर मेरे सपने में
फकत इसी बहाने कुछ चैन की नींदें सो लिया करते हैं।-
चलो आज हम सितारों के गांव चलते हैं,
इस दुनिया की बेदखली से अब ऊब चुके हैं ।-
वीरान हो गए हम
पीली रेतों पर चलते चलते, स्याह रातों संग बहते बहते.
कहीं किसी नूर की खोज में, खुद ढलती शाम हो गए हम ।
हालातों से यूं लड़ते लड़ते, ख्वाबों को पूरा करते करते
कुछ तारे तोड़ने का भ्रम ले, तारों सा वीरान हो गए हम ।
बीच भंवर में कश्ती लेकर, यम से दो हाथ करते करते
अब जीने की जब बारी आई, क्यूं एक शमशान हो गए हम ।
टूटे रिश्तों की छींटें पाते पाते, वफ़ा की रस्म निभाते निभाते
तोहमत -ए- इश्क के दौर में, बेवजह बदनाम हो गए हम ।
Prince
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कुंचित केशा कृष्ण के, किरीट शोभे मोर ।
मीत मुख मुरली धरे, मोहन माखन चोर ।।-
आज हवाओं में फिर कुछ नमी- नमी सी है
जाने तिरी नजर को किसकी नजर लगी है ?
बे आबरू भरी दुपहरी चांद नजर आया है
बता तेरे हिस्से क्या क्या सितारे सजी हैं ?
नींदें खोल तू, सपनों की आंख मिचौली है
बता तेरे किन किन सपनों में पंख लगे हैं ?-