" 15 अगस्त"
आज भारत के ठेकेदार आयेंगे,
हमारा भारत महान बताकर जोर जोर से चिल्लायेंगे,
शहीदों की कुर्बानी जताकर चले जाएंगे ,
पर इन्होंने क्या क्या किया ये कभी नहीं गिनाएंगे ,
आज शिक्षा दम तोड़ रही ,
स्कूलों को बंद कर अब ठेके खोले जा रहे ,
सैकड़ों बहन बेटियों की इज्जत हर दिन लुट रही ,
पर ये तो आज भारत माता पर मर मिटने के कसमें खाएंगे,
स्वास्थ का तो बहुत ही बुरा हाल है,
सड़कों में तो आज केवल गढ्ढों का कमाल है,
करोड़ों अरबों से बना पुल आज लोगों की जान का जंजाल है,
परन्तु अंग्रेजों ने जो किया ये वही फिर कर के दिखाएंगे ,
और आज के बाद फिर ये हिंदू मुस्लिम कर के सत्ता की रोटी खाएंगे,
और हर व्यक्ति को ये अपनी जातियों में उलझाएंगे ,
और तो और आज ये खुद को सेकुलर बताएंगे,
अगर ऐसा ही चलता रहा,
तो भारत पर मर मिटने वालो की शहादत फिर जाया हो जाएगी ,
और हम गुलाम थे, गुलाम है और फिर से गुलाम ही रह जाएंगे ।
🇮🇳 ( इंकलाब जिंदाबाद )🇮🇳-
I have found myself interested in writing my thoughts. so, here, you will get my p... read more
या तो मैं इस पार हूं,
या तो मैं उस पार हूं,
या तो मैं साथ हूं,
या तो मैं हूं ही नहीं,
दोगलापंती आती नही,
नादान हूं, राजनीत नही जानता,
जो साथ है वही है अपना,
और मैं हूं तो केवल उसी के साथ हूं ।
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या तो मैं इस पार हूं,
या तो मैं उस पार हूं,
या तो मैं साथ हूं,
या तो मैं हूं ही नहीं,
दोगलापंती आती नही,
नादान हूं, राजनीत नही जानता,
जो साथ है वही है अपना,
और मैं हूं तो केवल उसी के साथ हूं ।
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"जिम्मेदारियाँ"
मन तो हमारा भी करता है,
की बचे हुए पैसों से कही घूम आएं,
पर सौ जिम्मेदारियाँ है साहब,
जिन हाथों ने चलना सिखाया था,
वो अब लड़खड़ाने लगे है,
और अब हमें उनका सहारा बनना है,
हम जो भी करे उनके काम आए ,
ऐसी मेरी तमन्ना है,
जग से मेरा क्या वास्ता है,
मेरी दुनिया तो मेरे घर में बस्ती है,
रही बात अब दुनिया घूमने की,
तो इनके चारों घूम लू यही काफी है ।-
Yes, it's your conscience who know the real you.
The walk, the smile & the boldness are the reflections of it.
Because if you do good then the good will happen to you.-
Sometimes, Some things are not in your control. but, this situation can be handled by saying whatever will happen I will handle it..
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दिवाली के दिन शहर धुआँ धुआँ हो जाएगा,
हर कोई यहाँ साँस लेने को तरस जाएगा,
लेकिन ये तो इंसान है भाई साहब,
इन्हें तो और मजा आएगा,
शोर शराबे में कुछ भी समझ ना आएगा,
पर ये जो दौलत का नशा है,
जिससे आज यहां शोर खरीदा जाएगा,
ये इंसान मदमस्त अपने घमंड में चूर है,
और आज प्रदूषण का कारण यही इंसान बन जाएगा,
दीपावली है दीपो का त्यौहार,
पर आज फिर धुएं में कुछ भी नजर ना आएगा,
इंसानों की बात है निराली,
आज ये फिर प्रकृति को ठेस पहुंचाएगा ,
लेकिन ये बात इंसान भूल गया है,
की ऐसा कर के वो अपने ही दिन घटाएगा ।-
For me, self-respect is like oxygen.
If it is absent in my life, then I will on the bed of death.-
आंधियों में भी चिराग जला लूंगा,
लगी है एक आग सी ,
मैं अब खुद से चल लूंगा,
ना है, ना कोई था मेरे संघर्ष का साथी,
अब अपने हर डगर में खुद की पीठ खुदी से थप थपा लूंगा,
कुछ लोगो ने ठुकरा दिया,
अपनी महफिल के काबिल ना समझा निकाल दिया,
कोई बात नही मैं अपने स्वाभिमान के सहारे रह लूंगा,
थोड़ी इंसानियत है मेरे अंदर है,
दौलत का क्या है आज नहीं तो कल कमा लूंगा ।
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जितनी जरुरते कम होंगी,
उतना ही जमीर जिंदा होगा,
ठाठ बाट ना होगा,
पर चेहरे की मुस्कान सच्ची होगी,
जितनी उम्मीदें किसी से कम होंगी,
उतना ही आसान हर सफर होगा,
नियत ईमानदारी है और होगी,
पर रातों की नींद पक्की होगी,
स्वाभिमानी हूं मेहनत ही करना होगा,
लेकिन जीवन मेरा एक दिन सफल होगा ।-