ना सूरज की तपिश ने न कभी चंदा की चाँदनी ने रोका है
ना जातियों की न धर्म की बेड़ियों ने बाँधा है
ना जल की धाराओं ने ना बारिशों की बूँदों ने रोका है
मैं कवि हूँ जिसको बांधने से पहले हर किसी ने सोचा है-
◾️𝐏𝐫𝐨𝐮𝐝 𝐭𝐨 𝐛𝐞 𝐚... read more
हमारे समाज में स्त्री को
अपना पक्ष रखने से ज्यादा
सिर पर पल्लू रखना सिखाया जाता है-
मैं बेटी बीते ज़माने की नहीं
मुझे गहनों की चमक से कहीं ज्यादा
मुझे अपने सपनों की उड़ान पसंद है-
बुन के शब्दों का ताना बाना
मैं मन की व्यथा लिखता हूँ
सूर्य की किरणों सा आशा रख
निरंतर प्रयास का एक गाथा लिखता हूँ-
सच्चा इश्क़ कभी खत्म नहीं होता है
ताउम्र हमारे ख्यालों में रहता है
वो हमारे जिंदगी में तो नहीं पर
यादों में हमेशा रहता है-
आज जवाब मिल गया
मेरे इंतज़ार का
कहीं न कहीं मन की गहराइयों में
आज भी एक आस बची हुई है
कि... कोई वाकया हो ज़िंदगी में
और तुम लौट आओ-
ज़िंदगी नदी की तरह सफर कर रही है
और ...
हम टूटी नाव लिए उसमें डूबे जा रहे हैं-
कुछ हादसे ज़िंदगी में ऐसे भी हुए
के.. एक शख्स पूरा बदल गया
रूप वही रंग वही
बस उसका किरदार पूरा बदल गया
ख्वाब टूटा दिल टूटा
जाने क्यों पर अब
खुशियों का पता हर बार बदल गया-