Prince Hardiya  
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Joined 20 September 2020


Joined 20 September 2020
31 DEC 2021 AT 13:44

इस साल का सफर,
कुछ यूँ गुज़र गया,
कुछ अपने अंजान हो गए,
कुछ अंजान अपने हो गए।

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31 DEC 2021 AT 13:37

था मैं नींद में मुझे सजाया जा रहा था,
बड़े प्यार से मुझे नहलाया जा रहा था।
था पास मेरा हर सपना उस वक्त फिर भी
मैं हर किसी के मन से भुलाया जा रहा था।
जो कभी देखते भी नहीं थे मोहब्बत की निगाहों से,
उनके दिल से भी प्यार मुझ पर लुटाया जा रहा था
मालूम नहीं क्यों हैरान था हर कोई मुझे सोते देखकर,
जोर-जोर से रोक कर मुझे जगाया जा रहा था।
कांप उठी रूह मेरी वो मंजर देखकर,
जहां मुझे हमेशा के लिए सुनाया जा रहा था।
मोहब्बत की इंतेहा थी जिन दिलों में मेरे लिए,
उन्हीं लोगों के हाथों में जलाया जा रहा था।
इस दुनिया में कोई किसी का हमदर्द नहीं होता,
लाश को शमशान में रखकर अपने ही पूछते हैं
"और कितना टाइम लगेगा"।

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