एक झलक उसे देखने की चाह, सनम चाहत में यह दुश्वारी कैसी? मिले नहीं हम एक दूजे से कभी, फिर दोनों को ये बेकरारी कैसी??
दिल से दिल मिले हैं सनम हमारे, फिर ये जिस्म की नुमाइशी कैसी? अगर सच्ची है मोहब्बत दोनों की, खुदा मिलाएगा दोनों को एक दिन।।
दूर हो या पास,ये फासला तनों का, मगर एक–दूजे के दिल में बसते हैं। तेरी हूंँ, सदा तेरी बनकर रहूंँगी मैं, बस तुझे पाने की चाहत रखते हैं।। _प्रीती द्विवेदी ✍️