प्रीती देवी   (डॉ.प्रीती द्विवेदी ✍️)
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Joined 7 June 2019


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Joined 7 June 2019
18 APR 2023 AT 14:41

है हाथों में तेरा हाथ पिया,
जीवन भर का साथ पिया।
छूटे न साथ जनम –जनम,
है यही मेरी फ़रियाद पिया।।

तू रूह में मेरी शामिल हैं,
है कुंदन तेरा साथ पिया।
तुझसे शुरू, तुझपे ही खत्म,
तू ही सांसों की तार पिया।।

तू जान मेरी, है परछाई मेरी,
तू मेरे होंठों की प्यास पिया।
तू है मेरे धड़कन की सरगम,
तू जीवन की मेरे तान पिया।।

@प्रीती द्विवेदी ✍️



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30 MAR 2023 AT 23:54

आप सभी को श्री रामनवमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

मन में राम,बसे हर तन में राम,
जगत के हर कण कण में राम।
जीवन के पालनहार तुम्हीं प्रभु,
बसे सदा मेरे मन मंदिर में राम।।

जय श्री सीता राम।

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28 JAN 2023 AT 22:51

मुखौटा लगाकर घूम रहा तू जहां में जो,
इल्जाम देता,फरेबी दूसरों को कहता है।
खुद को कहता सच्चा,है झूठी कसमें खाता,
प्यार जता कर झूठी पहचान बताई अपनी।।

@प्रीती द्विवेदी ✍️

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24 JAN 2023 AT 23:28

धोखेबाज ये दुनिया, यहां हर शख्स झूठा है।
बनाकर अपना हमें तो,हमें अपनों ने लूटा है।।

@प्रीती द्विवेदी ✍️

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26 JAN 2022 AT 19:20

ये जिन्दगी और मौत भी
क्या खूब खेल खेलती है
जिन्दगी हर पल मार रही और
मौत मांगने पर भी नहीं आ रही है।— % &

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26 JAN 2022 AT 18:24

गर्व हमें है भारत पर,
शान हमारी तिंरगा है।
हम भारतवासी हिंदुस्तानी,
अभिमान हमारा तिंरगा है।।

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14 OCT 2021 AT 22:39

मुहब्बत नहीं थी ख़ुद से, ऐतबार हो गया।
दिल अब हमारा नहीं, इसे प्यार हो गया।।

खुद से करती हूँ बातें, अब जागते हुए भी।
जब से मिला तू मुझे ये कमाल हो गया।।

कसूर निगाहों का और घायल दिल हुआ।
मुझे लगता हैं दिल मेरा बीमार हो गया।।

क्या जादू किया है तूने मुझ पर,ऐ सनम।
कि मेरा ये दिल ,तेरा तलबगार हो गया।।

मिली निगाहें और मेरे सीने में तीर चुभा।
करके बीमार मुझे तू तो फरार हो गया।।

मरहम तू है अब इस दिल के ज़ख्म का।
अब ये दिल तेरे लिए बेकरार हो गया।।
_प्रीती द्विवेदी ✍️

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11 OCT 2021 AT 21:27

आनंद का सुखद अनुभव,
होता जन्नत के आंँचल पर।
मदहोश हो खो जाती खुद,
ऐ प्रिय तेरी इन बाहों पर।।

हृदय को सुकून मिले तब,
जब होता तेरी आगोश में।
लग कर गले तेरे, सनम मेरे,
हम दोनों एक दूजे से मिले।।

मिलन का ये क्षण जीवन में,
अनमोल पल बन जाता है।
साथ प्रिय तेरा हो सदैव तो,
ये जीवन सुखद हो जाता है।।
_प्रीती द्विवेदी ✍️





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रूप अनेक हैं तेरे मईया,
हर रूप में माँ को ध्याते।
जगजननी तू मातु भवानी,
माता,भक्त तेरे गुण गाते।।

दुर्गा, काली, चंडी, ज्वाला,
सरस्वती, लक्ष्मी, गौमाता।
माँ,धरती पे तेरे रूप अनेक,
करती उपकार, हो माता।।

तुलसी आंगन में विराजे,
माता रूप में संतान पाले।
हे जन्मदात्री, दुखहर्ता तुम,
मन की हर बात माँ जाने।।

आए तेरी शरण ओ माता,
हैं हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़े।
हम तेरी ही संतान हैं मईया,
सबका नित कल्याण करें।।
_प्रीती द्विवेदी ✍️

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एक झलक उसे देखने की चाह,
सनम चाहत में यह दुश्वारी कैसी?
मिले नहीं हम एक दूजे से कभी,
फिर दोनों को ये बेकरारी कैसी??

दिल से दिल मिले हैं सनम हमारे,
फिर ये जिस्म की नुमाइशी कैसी?
अगर सच्ची है मोहब्बत दोनों की,
खुदा मिलाएगा दोनों को एक दिन।।

दूर हो या पास,ये फासला तनों का,
मगर एक–दूजे के दिल में बसते हैं।
तेरी हूंँ, सदा तेरी बनकर रहूंँगी मैं,
बस तुझे पाने की चाहत रखते हैं।।
_प्रीती द्विवेदी ✍️







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