कभी कभी न्याय दिलाना इसलिए भी कठिन होता है
क्योंकि पीड़ित को भान ही नहीं होता कि उसके साथ
अन्याय हुआ है....-
Prerna Patel
(प्रेरणा)
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तृण हूँ,कृपाण हूँ,
अंतर्मन का कोलाहल हूँ मैं
नही तो नीरव अंतर्नाद हूँ......
अंतर्मन का कोलाहल हूँ मैं
नही तो नीरव अंतर्नाद हूँ......
Joined 20 February 2023
30 APR AT 4:10
28 APR AT 10:23
स्त्री को अबला का पर्याय मानने वाले पुरुष
निडर स्त्री का बहिष्कार करते हैं....-
11 APR AT 9:49
परिवार को सुनियोजित करते-करते
अपने जीवन की बेतरतीबी
"पुरुष रख देते हैं अपनी वस्तुओं में........
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10 APR AT 10:23
साम्यावस्था की अवहेलना कर
हम सदैव सुख की कामना करते हैं
प्राकृतिक नियमों के विरूद्ध जाना
दुःख की ओर जाना है....-
9 APR AT 21:49
हमनें संचार के इतने साधन ईजाद कर लिए
विडंबना है
एक हृदय की बात
दूसरे हृदय तक पहुंच नही पा रही...-
9 APR AT 7:45
एक वक्त के बाद कलम छोड़ देती है
प्रेम पर लिखना
निश्चित ही -
उस कलम की स्याही सूख जाती है,
जीवन के नित नये अध्यायों के प्रश्न हल करते.....
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4 APR AT 10:24
श्रेष्ठता के सबके अपने-अपने पैमाने हैं
आपका श्रेष्ठ किसी का निकृष्ट हो सकता है
परिवेश का अंतर कितना कुछ बदल देता है ना....-