जैसे रस्म-ओ-रिवाज में तुम शामिल हो, आम बात है ना! अब तुम्हारा यूं हरदम याद आना बोलो, आम बात है ना!— % &यूं तो अब तलक बदले कई शख्स इन शहरों की तरह, तुम्हारा वहीं गांव सा बना रहना बोलो, आम बात है ना! — % &मेरा कहना बेशक कम हुआ पर जताना अभी बाक़ी है, हां तुम्हारी तस्वीरों को चूमना ! क्या! , आम बात है ना!— % &खैर... पागल तो ये ज़माना है जो मुझसे नहीं जलता, तुम सा महबूब पा कर यूं इतराना तो, आम बात है ना।— % &