Prem Shankar Jha   (गँवार लेखक -प्रेम)
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YouTube - P S JHA
Joined 29 March 2018


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13 NOV 2021 AT 17:58

कोशिशें है, पर कुछ कहने की हिम्मत नहीं है हम में
गुनाह बस इतनी सी मेरी, कि मोहब्बत की है उनसे

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4 NOV 2021 AT 6:00

हम निर्धन के भाग्य में सदा तो कष्टप्रद मौन ही शब्दावली है
मनाती हो दुनिया दिवाली हमें दिखती बस निशा अमावस है
ये गरीब तरपे महंगाई से वो स्वमुख से सुनााता विरूदावली है
कोई करें आतिशबाजियां तो किसी का हाथ महंगाई विवस है

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23 OCT 2021 AT 2:01

तेरी खत आखिरी हो, तेरी लत आखिरी हो
तुझे खोकर जिंदगी की मरम्मत आखिरी हो

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22 OCT 2021 AT 19:42

बढ़ती मेरी मन की पीड़ा, ये शब्दों का हो जाना मौन
करती यादें किस्मत से क्रीड़ा, तुम बिन समझे कौन

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6 OCT 2021 AT 21:43

मैं जिंदा रहूँ या ना रहूँ, ये दिल तुम्हारा हमेशा रहेगा
तुम जिंदा रहो ना रहो, ये कहना तो मेरा पेशा रहेगा
अब कौन किसकी खैरियत चाहे प्रेम मे ताउम्र रहना
एक जाएगा दूजा भाएगा, नई पीढ़ी को संदेशा रहेगा

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2 OCT 2021 AT 22:46

तुम्हें पाने की रोज नई - नई ये कोशिशें मिट जाएगी
मेरी मौत के साथ- साथ मेरी ये खलिशें मिट जाएगी
रोज हमें तड़पन देने की तेरी ये साजिशें मिट जाएंगी
आरजू है कि मिटा देना हमें खुद रंजिशें मिट जाएंगी

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29 SEP 2021 AT 21:18

ख़त-ए-जाम गिनते
मैं यादों को बीन लेता हूँ ।
खाली प्याली अब
जाम-ए-तासीर छीन लेती है ।।

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18 SEP 2021 AT 1:07

जो प्रेम नहीं समझ पायी,वो मेरी शायरी क्या समझेगी
जो आँखों को पढ़ नहीं पायी ,वो डायरी क्या समझेगी
सीने मे जब ढहता कहर है , तब ही पूरा होता बहर है
दासी जो हालातों की,जीने की नई तैयारी क्या समझेगी

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6 SEP 2021 AT 7:32

मेरे लिखे शब्द तुमको कोशेंगे,
तुम लिखने वालों को कोशती रहना
लिखते हुए मर जाऊँगा एकदिन
मेरे कफन से अश्क पोछती रहना

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21 AUG 2021 AT 21:14

सावन का सावन सा मौसम हमको कहाँ भाता है
मेरे यहां ये सावन तो विपदाएं साथ ही लाता है

लोग इस मौसम प्रेम में हर्षित होकर गाते हैं
प्रेमी प्रेमिका इस मौसम में चर्चित हो जाते हैं
इसी कारण तो प्रेम अखंड - सिंगल रह जाता हैं
जब ये मौसम आता गाँव में बाढ़ आ जाता है
मेरे यहां ये सावन तो विपदाएं साथ ही लाता है

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