मेरा दिल उसकी तारीफों के पार जा रहा है
मुझे उस सांवली लड़की पे प्यार आ रहा है
उसकी हल्की सी मुस्कुराहट चार बार बस
उस तस्वीर पे फिर से मेरा ध्यान जा रहा है
गाना है, किसी शायर की ग़ज़ल 'ड्रीम गर्ल'
इस के क़ाफ़िये में उस का नाम आ रहा है
आंखों से समझने वाली शख़्सियत हूं मुझे
क्यों बार बार उसका चेहरा याद आ रहा है
आज मौका है तो चलो उसे खुश करते हैं
घूमने का मौसम बड़े दिनों बाद आ रहा है-
प्रस्तुत हैं प्रेम, दोस्ती, खुद्दारी, समझदारी, हैसियत, अंग्रेजियत, चालाक... read more
आंखों को अच्छा लगे ऐसा पीला हो
बाहर से पके हुए आम सा रसीला हो
खिलता और शर्माता हुआ 'लाल' हो
दिखने में टमाटर सा खूब कमाल हो
चमकता और दहकता सा काला हो
जो दिखने में इन सब से 'आला' हो
सूरज सा तेज हो, दूध सा सफेद हो
आईने में कुछ तो अस्ल में फ़रेब हो
शाम ढलती-पिघलती सा गुलाबी हो
किसी पागल सा हाज़िर- जवाबी हो-
काम के अलावा की जो ख़्वाहिशें अधूरी हैं
आज इतवार है, तो चलो उन्हें पूरी करते हैं
मैं मुश्किल से घड़ी दो घड़ी सो पाया हूं बस
आज चैन से हम अपनी नींद पूरी करते हैं
जगह जगह पर पन्ने मोड़कर रक्खी है मैंने
आज बैठकर उस किताब को पूरी करते हैं
तब से ये एक दो शेर खेल रहे हैं आपस में
आज मन है के उस ग़ज़ल को पूरी करते हैं
चलो तुम भी हमारे साथ चलो टहलने कहीं
आज 'इतवार' की सारी कसर पूरी करते हैं-
जो नहीं है मेरे पास आसमां का एक टुकड़ा
उसके मेरे दरमियां हज़ारों चीज़ें और है खैर-